Tuesday, December 3, 2024
Homeदेशकृषि कानून के समर्थन में लिखी चिट्ठी, जानिए कौन हैं जो सुप्रीम...

कृषि कानून के समर्थन में लिखी चिट्ठी, जानिए कौन हैं जो सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी से अलग हुए

किसान आंदोलन।

कृषि कानूनों पर अस्थायी रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जिस 4 सदस्यीय समिति का गठन किया था, उससे भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है। मान ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि वह किसानों और पंजाब के हित के लिए किसी भी पद की कुर्बानी देने को तैयार हैं।

. कृषि कानूनों पर बनी सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से भूपिंदर सिंह मान ने खुद को किया अलग
. मान ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि किसानों और पंजाब के हित के लिए वह कोई भी पद त्याग सकते हैं
. आंदोलनकारी किसानों ने SC की तरफ से बनाई गई 4 सदस्यीय समिति के सदस्यों के कृषि कानून समर्थक होने का लगाया है आरोप
. मान ने पिछले साल दिसंबर में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को चिट्ठी लिखकर कानूनों की तारीफ की थी, कुछ बदलाव की भी मांग की थी

नई दिल्ली
किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई 4 सदस्यीय समिति में शामिल भूपिंदर सिंह मान ने इससे खुद को अलग कर लिया है। गुरुवार को जारी अपने बयान में उन्होंने समिति में शामिल किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट को शुक्रिया कहा और अपने इस फैसले की वजह बताई। मान ने कहा कि ‘किसान हित से समझौता’ न हो इसके लिए वह किसी भी पद को न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं। वह किसानों और पंजाब के साथ खड़े हैं लिहाजा खुद को कमेटी से अलग कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष, रह चुके हैं राज्यसभा सांसद
भूपिंदर सिंह मान को प्रभावशाली किसान नेता माना जाता है। वह भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रमुख हैं। किसान संघर्षों में योगदान को ध्यान में रखते हुए 1990 में राष्ट्रपति की ओर से भूपिंदर सिंह मान को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। वह ऑल इंडिया किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी के भी प्रमुख हैं। किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी में कई किसान संगठन शामिल हैं।

किसानों के लिए कई कामयाब आंदोलनों का कर चुके हैं नेतृत्व
मान ने 1966 में पंजाब खेतीबाड़ी यूनियन का गठन किया था। आगे चलकर 1980 में यही संगठन भारतीय किसान यूनियन (BKU) बना। BKU किसानों के ताकतवर संगठन के तौर पर उभरा लेकिन बाद में इसमें कई बार टूट हुई। मान ने 1972 में गन्ना किसानों के लिए बड़ा आंदोलन चलाया था। उसी आंदोलन के बाद सरकार ने गन्ने की सप्लाई के लिए हर पेराई सत्र से पहले कैलेंडर सिस्टम को लागू किया। इसके अलावा वह पंजाब में बिजली की दरों को बढ़ाने के खिलाफ भी कामयाब आंदोलन कर चुके हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह के माने जाते हैं समर्थक
भूपिंदर सिंह मान को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का समर्थक माना जाता है। वह कई बार कैप्टन की नीतियों की खुलकर तारीफ भी कर चुके हैं।

कृषि कानून स्थगित, जानें कौन हैं सुप्रीम कोर्ट कमेटी के सदस्य भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। किसान संघर्षों में योगदान को ध्यान में रखते हुए 1990 में राष्ट्रपति की ओर से भूपिंदर सिंह मान को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठन के बीच जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी में इन्हें शामिल किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को भी इस कमेटी का सदस्य नियुक्त किया है। गुलाटी फिलवक्त ICRIER के चेयर प्रोफेसर हैं। अपने लेखों और रिसर्च पेपर में गुलाटी किसानों के उत्पाद को लेकर आवाज उठाते रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने शिवकेरी संगठन महाराष्ट्र के अनिल घनवट को भी इस कमेटी में शामिल किया है। शेतकारी संगठन के अध्यक्ष धनवट के इस संगठन के साथ लाखों किसान जुड़े हुए हैं। इस संगठन का महाराष्ट्र के किसानों पर बड़ा असर है।

कृषि कानूनों के समर्थन में तोमर को लिखी थी चिट्ठी
मान ने दिसंबर 2020 में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खत लिखकर नए कृषि कानूनों का समर्थन किया था। खत में उन्होंने इन कानूनों को किसानों के हित में बताया था लेकिन कुछ बदलावों की भी मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार से लिखित गारंटी की मांग की कि इस व्यवस्था को खत्म नहीं किया जाए।

कमेटी के नामों पर आंदोलनकारी किसानों ने जताया है ऐतराज
किसान आंदोलन के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस हफ्ते कृषि कानूनों के अमल पर अस्थायी रोक लगा दी। इसके साथ ही कोर्ट ने 4 सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया जो इन कानूनों को लेकर उसे रिपोर्ट देगी। कमेटी में भूपिंदर सिंह मान के अलावा प्रमोद जोशी, अनिल घनवंत और अशोक गुलाटी शामिल थे। आंदोलनकारी किसान संगठनों ने यह कहते हुए कमिटी से बातचीत नहीं करने का ऐलान किया है कि इसके सभी सदस्य कृषि कानूनों के समर्थक हैं। इसी विवाद के बाद मान ने समिति से खुद को अलग करने का फैसला किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments