नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 34 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान कानून वापसी की मांग पर डटे हुए हैं। किसान और सरकार के बीच में आज एक बार फिर बातचीत होगी। आज यानी बुधवार को केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई सातवें दौर की बातचीत होगी। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी। बता दें कि इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है और सभी बेनतीजा ही रहीं। इधर, सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉडर्र और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान तंबू तान कर डटे हुए हैं।
कृषि मंत्री, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. तोमर ने सोमवार को कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है. केंद्र ने सोमवार को आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का “तार्किक हल” खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया, लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को केंद्र को लिखे पत्र में कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए.
मोर्चा ने आगे कहा कि बैठक के एजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके. पत्र के जरिए मोर्चा ने वार्ता के लिए सरकार के आमंत्रण को औपचारिक रूप से स्वीकार किया है. पत्र में यह भी कहा गया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने का मुद्दा भी वार्ता के एजेंडे में शामिल होना चाहिए.
अब तक हुई पांच दौर की बातचीत में पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी. छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को होनी थी, लेकिन इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता न मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था. कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने सोमवार को किसान संगठनों को लिखे पत्र में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में बुधवार दोपहर दो बजे बातचीत के लिए आमंत्रित किया. किसानों ने इससे पहले 26 दिसंबर को भी वार्ता की एजेंडा सूची के संबंध में सरकार को पत्र लिखा था.