आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी में दिव्यांगता और नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट दिखाया था, असल में वह एक क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट हैं, ऐसे में उन्हें आरक्षण मिलना संभव नहीं है.
आइए इसके पीछे का कारण जानते हैं.
महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं. पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC की सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए दिव्यांगता और नॉन क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट दिखाया था. IAS पूजा के ओबीसी नॉन क्रीमी कैंडिडेट होने पर सवाल उठ रहे हैं कि अगर किसी कैंडिडेट के पिता की संपत्ति 40 करोड़ रुपये हो तो उसकी संतान को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर में कैसे माना जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि यूपीएससी में आरक्षण देने के क्या नियम हैं और क्रीमी लेयर ओबीसी का मतलब क्या है.
किस कैटगरी को मिलता है UPSC में आरक्षण?
सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि UPSC में जो कैंडिडेट्स आरक्षण श्रेणी में आते हैं उन्हें ज्यादा अटेंप्ट देने की छूट, आयु में छूट, सीट आरक्षण, यूपीएससी पात्रता और कट-ऑफ में छूट जैसे फायदे मिलते हैं. EWS कैटगरी (Economically Weaker Section), अनुसूचित जाति (Scheduled Caste), अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe), अन्य पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) और विकलांग (Pwds) कैंडिडेट्स यूपीएससी की परीक्षा में आरक्षण पा सकते हैं. कैंडिडेट्स के लिए यह आरक्षण सरकार द्वारा निर्धारित क्या जाता है.
क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर आरक्षण-
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है लेकिन इसके अंदर सरकार ने कुछ नियम बनाए हुए हैं. ओबीसी कैटगरी का हर कैंडिडेट इस आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता है. ओबीसी कैंडिडेट्स को क्रीमी और नॉन क्रीमी कैटगरी में बांटा गया है. सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ नॉन क्रीमी ओबीसी कैंडिडेट को ही आरक्षण मिलता है. IAS पूजा विवाद में यही पेंच फंस रहा है. पूजा क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट हैं लेकिन यूपीएससी में उन्होंने अपना दिव्यांगता और OBC का फेक सर्टिफिकेट दिखाया है और नियमों के अनुसार क्रीमी लेयर ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है.
क्रीमी लेयर ओबीसी क्या होता है?
अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से अधिक है तो उस परिवार को क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जायेगा. इनकी आय में वेतन और कृषि आय शामिल नहीं है. वहीं, अगर किसी परिवार की सालाना आय 8 लाख रूपये से कम है तो उस परिवार को नॉन क्रीमी लेयर की श्रेणी में रखा जाता है. यूपीएससी में क्रीमी लेयर ओबीसी कैंडिडेट के लिए कोई आरक्षण नहीं है.
अगर ओबीसी कैंडिडेट के परिवार से कोई राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त है तो यह कैंडिडेट्स क्रीमी लेयर कैटगरी में आएंगे.
PSUs, यूनिवर्सिटीज, बैंकों, बीमा कंपनियों के अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, कोई अधिकारी, सेना में कर्नल या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी या वायुसेना, नौसेना और पैरामिलिटरी में समान रैंक के अधिकारी क्रीमी लेयर में शामिल होंगे. इन कैंडिडेट्स के परिवार पर अगर शहर में खुदका घर, अच्छी इनकम और जमीन है तो उन्हें ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा.
यूपीएससी में आरक्षण आयु, अटेंप्ट, पात्रता और अन्य छूट के रूप में दिया जाता है. जनरल कैटगरी के कैंडिडेट्स 32 साल की उम्र तक ही यूपीएससी के लिए अप्लाई कर सकते हैं. हालांकि, बाकि कैटगरी के कैंडिडेट्स के लिए आयु सीमा में छूट दी गई है. एससी और एसटी कैंडिडेट्स 21 साल से लेकर 37 साल की उम्र तक यूपीएससी एग्जाम दे सकते हैं. इस कैटगरी में कैंडिडेट्स के पास अनलिमिडेट अटेंप्ट देने की सुविधा है.
इसके अलावा एससी और एसटी कैंडिडेट्स के लिए एप्लीकेशन फॉर्म का भुगतान भी पूरी तरह माफ है. वहीं, ओबीसी कैंडिडेट्स 35 साल की उम्र तक इस परीक्षा को दे सकते हैं लेकिन उनके पास सिर्फ 9 अटेंप्ट देने का ही ऑप्शन है. ओबीसी कैंडिडेट्स को फॉर्म भरने के लिए 100 रुपये जमा करने होते हैं. इसके अलावा जनरल, ओबीसी, एससी या एसटी कैटगरी का कैंडिडेट दिवयांग है तो उसके पास यूपीएससी के अनलिमिडेट अटेंप्ट देने का ऑप्शन होता है. दिवयांग कैंडिडेट्स 42 साल तक यूपीएससी की परीक्षा में बैठ सकते हैं. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPwD Act), 2016 के मुताबिक, 40 प्रतिशत तक दिवयांग व्यक्ति यूपीएससी में आरक्षण पा सकता है.
EWS कैटगरी के अंदर आने वाले कैंडिडेट्स के पास यूपीएससी के 6 अटेंप्ट देने का ऑप्शन होता है. संविधान (113 संशोधन) अधिनियम 2019 के अनुसार, EWS कैंडिडेट्स को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है.