करीब एक शताब्दी (96 साल) के बाद 28 मई को देश को नया संसद भवन मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह नए संसद भवन पहुंचे और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन एवं पूजा में शरीक हुए। इसके बाद उन्हें ‘सेंगोल’ सौंपा गया जिसे उन्होंने लोकसभा स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया। इसके बाद सर्व धर्म प्राथना सभा शुरू हुई। करीब साढ़े तीन साल में नया संसद भवन बनकर तैयार हुआ है। नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 संसद बैठ सकेंगे। संसद की संयुक्त बैठक में 1,280 सांसद बैठ सकेंगे। त्रिकोणीय आकार के चार मंजिला संसद भवन का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्गमीटर है। इस इमारत के तीन मुख्य द्वार- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार- हैं।
‘मुक्त मातृभूमि को नवीन प्राण चाहिए’
आजादी का यह अमृतकाल असंख्य सपनों को पूरा करेगा। इस अमृतकाल का आह्वान है-मुक्त मातृभूमि को नवीन प्राण चाहिए। भारत के भविष्य को उज्जवल बनाने वाली इस संसद को भी उतना ही नवीन और आधुनिक होना चाहिए। एक समय था जब भारत दुनिया का सबसे समृद्ध और वैभवशाली राष्ट्रों में गिना जाता था। भारत के मंदिरों से लेकर मूर्तियों तक में भारत की वास्तु विशेषज्ञता का उद्घोष होता था लेकिन सैकड़ों वर्षों की गुलामी ने हमारा गौरव छीन लिया।
‘इस नए भवन में संस्कृति भी है संविधान के स्वर भी हैं’
21वीं सदी का भारत बुलंद हौसलों से भरा हुआ है। आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है। कला भी है कौशल भी है। इसमें संस्कृति भी है संविधान के स्वर भी हैं। लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है तो राज्यसभा का आतंरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। संसद के प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। इस नए भवन में देश की विशेषताओं को समाहित किया गया है।
भारत के ये नौ साल नव-निर्माण के रहे हैं-PM
इस भवन के निर्माण में राजस्थान के बलुआ पत्थर, महाराष्ट्र की लकड़ी लगी है। यूपी में भदोही के कारगीरों ने हाथ से कालीनों को बुना है। एक तरह से भवन के कण-कण में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के दर्शन होते हैं। संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था यह हम सभी जानते हैं। पुरानी संसद भवन में तकनीक से जुड़ी समस्याएं थीं। बैठने की जगह की चुनौती थी। देश को नए संसद की आवश्यकता को लेकर बहुत समय से चर्चा चल रही थी। आने वाले दिनों में सीटों की संख्या बढ़ेगी। नए सांसद कहां बैठते। समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए। मुझे खुशी है कि यह भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह लैस है। इस समय भी इस हॉल में सूरज का प्रकाश सीधे आ रहा है। भारत के ये नौ साल नव-निर्माण के रहे हैं।