Thursday, November 21, 2024
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चाय वाले की बेटी बनीं एयरफोर्स पायलट, पिता को याद कर छलके आंसू

भोपाल । साल 2014 में जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, चाय की भी चर्चा खूब हुई थी। मगर एक बार फिर चाय की चर्चा हो रही है। इस बार एक चाय वाले की बेटी ने पायलट बनकर अपने जिले, प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। मध्यप्रदेश के नीमच में चाय की गुमटी लगाने वाले सुरेश गंगवाल की 23 साल की बेटी आंचल जब हैदराबाद में एयरफोर्स ट्रेनिंग एकेडमी में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के सामने मार्च पास्ट कर रही थीं तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। इसकी वजह है उनके पिता व उनका संघर्ष, जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बीच बेटी का साथ दिया। शनिवार को 123 कैडेट्स के साथ आंचल गंगवाल की भारतीय वायुसेना में कमिश्निंग हो गई।

आंचल के पिता सुरेश गर्व से भरी मुस्कुराहट के साथ कहते हैं, ‘फादर्स डे पर एक पिता के लिए इससे अच्छा तोहफा क्या हो सकता है। मेरी जिंदगी में खुशी के अवसर कम आए हैं। लेकिन कभी हार न मानने वाली बेटी ने यह साबित कर दिया कि मेरे हर संघर्ष के पसीने की बूंदें किसी मोती से कम नहीं हैं।’

वहीं आंचल ने कहा, ‘मुसीबतों से न घबराने का सबक उन्होंने अपने पिता से सीखा है। जीवन में आर्थिक परेशानियां आती हैं लेकिन मुश्किलों का मुकाबला करने का हौसला होना जरूरी है।’ आंचल को वायुसेना में लड़ाकू पायलट के तौर पर चुना गया है। इसपर उन्होंने कहा कि वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर बनने के लिए मैंने पुलिस सब इंस्पेक्टर और लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ दी थी।

आंचल की सफलता दर सफलता

अप्रैल 2017 की बात थी जब आंचल पुलिस विभाग में उप निरीक्षक के रूप में चयनित हुईं। इस पद से अगस्त 2017 में त्यागपत्र दे दिया। अगस्त 2017 :आंचल का चयन श्रम निरीक्षक के रूप में हुआ। वह मंदसौर में बतौर श्रम निरीक्षक के पद पर पदस्थ रहीं। जून 2018 से जून 2020 तक : एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट में सफलता। मप्र से एकमात्र युवती चुनी गई। 30 जून 2018 से हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी पर प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। 20 जून 2020 को प्रशिक्षण के बाद दीक्षांत परेड हुई।

2013 की घटना से मिली प्रेरणा

आंचल को वायुसेना में जाने की प्रेरणा 2013 की एक घटना से मिली। आंचल ने बताया कि 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ आई थी। इस दौरान भारतीय वायु सेना ने बचाव अभियान को बखूबी अंजाम दिया। इस कार्य को टीवी पर देखकर ही उन्हें वायु सेना में जाने की प्रेरणा मिली।

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