भारत में जहां लिव इन रिलेशनशीप जहां समाज की अदालत में कटघरे में खड़ा नजर आता है वहीं जापान जैसे देश में ब्वॉय फ्रेंड अब रेंट पर मिलने की खबर ने सभी को हैरान कर दिया है। क्या वाकई में मानव समाज आधुनकिता और विकास की दौड़ में ऐसे प्रयोग को स्वीकार कर रहा है या इसे समय की आवश्यकता समझा जाएगा।
आधुनिक जीवनशैली, काम का दबाव और तेज़ भागदौड़ ने लोगों के जीवन से व्यक्तिगत रिश्तों को काफी हद तक दूर कर दिया है। जापान जैसे विकसित देशों में यह समस्या और भी गंभीर है। वहां बड़ी संख्या में महिलाएं अविवाहित या अकेली हैं। हाल ही के आंकड़े बताते हैं कि जापान की लगभग 47% आबादी सिंगल है। यही कारण है कि वहां एक नया चलन तेजी से लोकप्रिय हो रहा है—‘रेंट-अ-बॉयफ्रेंड’ यानी किराए पर बॉयफ्रेंड।
कैसे काम करती है यह सर्विस?
टोक्यो और जापान के अन्य बड़े शहरों में कई ऑनलाइन वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप्स उपलब्ध हैं जहां महिलाएं अपनी पसंद के बॉयफ्रेंड को चुन सकती हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर पुरुषों की प्रोफाइल, तस्वीरें, उम्र, पेशा और हॉबीज़ दी जाती हैं। महिला अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से किसी भी पुरुष को चुन सकती है और तय समय के लिए बुकिंग कर सकती है।
बता दें कि, जापान की बड़ी आबादी 30 से 40 वर्ष की महिलाओं की है जो काम के दबाव, परिवार से दूरी और सामाजिक रिश्तों की कमी के चलते अकेलापन महसूस करती हैं। इन महिलाओं के पास अक्सर शादी या रिश्ते के लिए समय नहीं होता, और कई बार उन्हें योग्य साथी भी नहीं मिल पाता।
क्या यह ट्रेंड भारत या अन्य देशों तक फैलेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि जापान का यह चलन आने वाले समय में अन्य देशों में भी देखने को मिल सकता है। भारत जैसे देशों में जहां तेज़ी से बढ़ती शहरी आबादी, बदलती जीवनशैली और अकेलेपन की समस्या मौजूद है, वहां भी ऐसे ट्रेंड लोकप्रिय हो सकते हैं। हालांकि, सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं के चलते इसकी स्वीकृति जापान जैसी आसानी से नहीं हो पाएगी।
बता दें कि, जापान में ‘किराए पर बॉयफ्रेंड’ का चलन आधुनिक समाज की उस सच्चाई को सामने लाता है जहां अकेलापन एक गंभीर चुनौती बन चुका है। महिलाएं न केवल रिश्ते की तलाश में हैं बल्कि उन्हें एक ऐसे साथी की जरूरत है जो उनका साथ दे, सुने और भावनात्मक सहारा बने।