आप ज़रा चीन की तरफ देखिए, आज चीन अपना सपना पूरा करने वाला है, वो इस कंडीशन में आ चुका है जब उसका वर्ल्ड लीडर का सपना पूरा होने वाला है, ठीक वैसे ही जैसे कभी ग्रेट ब्रिटेन का सपना टूटा था और अमेरिका वर्ल्ड लीडर बना था ।
1956 से पहले तक ब्रिटेन दुनिया का वर्ल्ड लीडर था या आप उसे सुपर पावर भी कह सकते हैं, क्यों कि तब ब्रिटेन से ताकतवर देश नहीं था, 1956 में ब्रिटेन ने कुछ दूसरे देशों के साथ मिलकर स्वेज नहर पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन ईरान ने उसको विफल कर दिया और अमेरिका ने ब्रिटेन को धमकी दी कि अगर आप तुरंत वो जगह नहीं छोड़ेंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे, ब्रिटेन समझ गया था कि ये समय उसके लिए अच्छा नहीं है, इसलिए 23 दिसंबर 1956 को ब्रिटेन ने पीछे हटना ही ठीक समझा, ये वो दौर था जब ग्रेट ब्रिटेन कहकर पुकारा जाता था लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था, इसके बाद ब्रिटेन की पूरी दुनिया में बड़ी फजीहत हुई, उस दौर में एंथनी ईडेन ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर थे, जिनको इसके बाद इस्तीफा देना पड़ा था, क्यों कि तब ब्रिटेन से सुपर पावर का तमगा छिन गया था ।
अब मौजूदा हालातों पर नज़र डालिए और देखिए इन दिनों दुनिया में चल क्या रहा है ?
17 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की अर्थव्यव्स्था, यानि हमारी अर्थव्यवस्था के करीब 8 गुना से ज्यादा की अर्थव्यवस्था, जिसके 1 डॉलर के बराबर हम 70 होते हों, जिसने 7 सालों में यानि (2006-2013) तक वर्ल्ड बैंक को हमारी GDP का करीब 10 गुना दान दिया हो, जो हैजा, टीबी, एड्स जैसी बामारियों से निपटने के लिए दुनिया की मदद करता आया हो, वो देश आज कहां है, कहां है सुपरपावर अमेरिका ?
2015 में जब इबोला वायरस आया था, तब भी अमेरिका ने पूरी दुनिया की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था, अमेरिका ने हमेशा की तरह तब भी पूरी दुनिया का नेतृत्व किया था, लेकिन आज अमेरिका कहां है ?
कोरोना वायरस के चलते दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति की आज ये हालत है कि वो पूरी दुनिया की तरफ हाथ फैलाने को मजबूर है, कुछ दिनों पहले तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ये दावा कर रहे थे, कि कोरोना से लड़ने के लिए उनके देश में पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं, जैसे वेंटिलेटर और अन्य जरूरी सामान मौजूद है, इतना ही नहीं वो ये दावा भी कर रहे थे कि इटली, फ्रांस, इंग्लैंड और स्पेन जैसे देशों की मदद के लिए वो तैयार हैं लेकिन हकीकत ज्यादा दिन छिप नहीं पाई और अमेरिका को आज पूरी दुनिया के सामने हाथ फैलाने को मजबूर होना पड़ा, अमेरिका ने रूस, चीन और भारत जैसे देशों से मेडिकल सहायता मांगी, भारत ने मदद की तो तस्वीरें सोशल साइट्स पर नहीं डालीं लेकिन रूस ने ऐसा नहीं किया, रूस ने मदद की तो मेडिकल का सामान भेजने वाले जहाज की फोटो के साथ रूसी विदेश विभाग ने ट्वीट किया और लिखा कि, अमेरिकी नागरिकों की जिंदगी बचाने के लिए हम मदद भेज रहे हैं, भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तो चीन ने वेंटीलेटर और कोरोना जांच किट भेजी गई ।
अब सोचिए कि जो अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप की लीडरशिप में आज खुद को नहीं संभाल पा रहा है वो दुनिया कैसे संभालेगा ? कैसे पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा ?
अब आप ज़रा चीन की तरफ देखिए, आज चीन अपना सपना पूरा करने वाला है, वो इस कंडीशन में आ चुका है जब उसका वर्ल्ड लीडर का सपना पूरा होने वाला है, ठीक वैसे ही जैसे कभी ग्रेट ब्रिटेन का सपना टूटा था और अमेरिका वर्ल्ड लीडर बना था ।
इस कोरोना वायरस के बाद चीन और मजबूत होगा और एक वैश्विक नेता के रूप में उभरेगा, वो चीन जिसके आज बहुत कम दोस्त हैं, जैसे नॉर्थ कोरिया और रशिया, उसी चीन के आने वाले समय में बहुत अच्छे अच्छे दोस्त होंगे, क्यों कि अब दुनिया वो लेगी जो चीन बनाकर देगा, कोरोना वायरस ने अमेरिका की कमर तोड़ दी है, उससे अपना घर नहीं संभल रहा है, हालात ये हैं कि हर बड़े समझौते से अमेरिका अपने कदम धीरे-धीरे पीछे खींच रहा है, और धीरे-धीरे अमेरिका अपना वर्ल्ड लीडर का तमगा छोड़ता जा रहा है, उसकी इज्जत भी अब वैश्विक स्तर पर कम होने लगी है लेकिन ये सब कुछ चीन देख रहा है और चीन एक नई प्लानिंग में लग गया है ।
चीन कोरोना वायरस के बाद दुनिया में एक वर्ल्ड लीडर के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाला है, ये इसलिए कहा जा सकता है क्यों कि जिस तरह से चीन ने कोरोना वायरस पर लगाम लगाई है या ये कहें कि ऐसी खबरों को दुनिया तक पहुंचाया है, वो चीन के पक्ष में काम करेंगी, मसलन चीन ने कोरोना पर अपनी जीत को एक विक्ट्री की तरह पेश किया है, वो दुनिया को दिखा रहा है कि आप मुसीबत से निपटने में हमारी स्पीड देखिए, हमारी दक्षता देखिए और हमारी प्लानिंग देखिए, जो चीन कल तक दुनिया के मुट्ठीभर देशों का दोस्त था आज वो दुनिया के सबसे बड़े या यूं कहें कि पूरी दुनिया का सलाहकार हो गया है ।
करीब हर 17 मिनट में चीन एक देश के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक करता है, जिसमें उन देशों के राष्ट्राध्यक्ष सीधे चीन से जुड़ते हैं और उनसे ये सीखते हैं कि हम अपने देश में कोरोना पर लगाम कैसे लगाएं ।
चीन इस समय दुनिया में सॉफ्ट लीडरशिप का पर्याय बन रहा है, वो पूरी दुनिया को बता रहा है कि एक तरफ हमारा मॉडल देखिए, जिसने इतनी बड़ी समस्या पर काबू पाया है तो दूसरी तरफ अमेरिका को देखिए, जिसका गैर जिम्मेदाराना रवैया इस समय ना सिर्फ अमेरिका पर बल्कि पूरी दुनिया पर भारी पड़ रहा है, इस बात को चीन जोर-जोर से पूरी दुनिया को बता रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कभी अमेरिका ने ब्रिटेन के खिलाफ इस तरह की बातें फैलाई थीं ।
मौजूदा हालातों को देखकर लगता है कि चीन इस समय पूरी दुनिया को अपनी एक नई परिभाषा देने की कोशिश कर रहा है, कि वो ये कि एक ग्लोबल रिस्पांसिबल देश है, अब सोचिए कि जिस चीन ने आज तक तिब्बत को आजाद मुल्क नहीं बनने दिया, वो ये कह रहा है कि हम दुनिया के सबसे ग्लोबल रिस्पांसिबल देश हैं ।
इस समय चीन दुनिया के लिए फिक्रमंद बना घूम रहा है, वो दुनिया को ये बता रहा है कि हम आपका ख्याल रखते हैं, अब सोचिए कि ऐसा तो कभी चीन था ही नहीं फिर ऐसा पेश क्यों किया जा रहा है, दरअसल एक पिक्चर रिलीज होने वाली है, जिसका ये पोस्टर है, पोस्टर में दिखाया जा रहा है कि चीन दुनियाभर के देशों का मददगार है, इस पोस्टर को दुनिया के हर देश में लगाने की कोशिश हो रही है, हम दर्द बनने की कोशिश हो रही है ।
ये सब कैसे हो रहा है, ये भी देख लीजिए..
जब इटली में हर तरफ मौतों का मातम पसरा था, जब इटली की दुनिया में कोई मदद नहीं कर रहा था, जब इटली चीख चीख कर कह रहा था कि मुझे कोई जांच किट दे दो, मुझे कोई वेंटिलेटर दे दो, मुझे कोई मास्क दे दो, तब एक दोस्त की तरह चीन ने इटली की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया, हालांकि भारत के अखबारों और वेबसाइट्स पर खबरें ये चलीं कि चीन ने इटली को वो सामग्री भेज दी है जो मदद के नाम पर इटली ने उसको भेजी थी लेकिन हकीकत ये भी है कि चीन ने पूरी दुनिया के सामने इस बात का ऐलान किया कि वो इटली को 1 हजार वेंटिलेटर, 20 लाख मास्क, 1 लाख रेस्पिरेटर, 20 हजार प्रोटेक्टिव सूट और 50 हजार टेस्ट किट देगा, चीन के इस ऐलान के बाद जिस इटली के लोग चीन का विरोध कर रहे थे, वो चीन की तारीफें करने लगे, ये वही इटली है जहां चंद दिनों पहले इस बात पर चीन का विरोध हो रहा था कि वो एक-एक कर के इटली की हर कंपनी को खरीद रहा है, उसी इटली में चीन की तारीफें होने लगीं, क्यों कि कोरोना से मौतों के मामले में इटली नंबर 1 की पायदान पर आ चुका था ।
इतना ही नहीं चीन ने स्पेन, ईरान, सर्बिया को 2.5 लाख मास्क, मेडिकल किट और अपने देश की मेडिकल टीम भी दी, चीन ने ईरान की भी मदद की, जिसके बाद सर्बिया के प्रमुख ने ये बयान दिया कि यूरोपियन नेशन से दोस्ती सिर्फ एक परिकथा है, इस समय दुनिया का असली दोस्त चीन है, अब सोचिए कि कितने कम समय में चीन दुनिया के सामने खुद को एक मददगार देश के तौर पर, खुद को एक वर्ल्ड लीडर के तौर पर पेश कर दिया जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा ।
अब याद कीजिए वो दौर जब भारत का सबसे अच्छा दोस्त रूस था, उस दौर में भारत का सबसे बड़ा विरोधी अमेरिका था लेकिन आज अमेरिका भारत का सबसे अच्छा दोस्त है, जिस तरह अमेरिका भारत का सबसे अच्छा दोस्त बना, उसी तरह चीन भी सबका दोस्त बनना चाहता है, वो इसी राह पर चल रहा है ।
दरअसल चीन एक ऐसा देश जहां सरकार की बात कोई भी कंपनी नहीं टाल सकती है, इस दौर में चीन ने मौके का फायदा उठाया और चीन की सभी कंपनियों को काम पर लगा दिया, चीन की सबसे बड़ी कंपनी अलीबाबा है, जिसके ऑनर जैक मा हैं, चीन ने अलीबाबा को आदेश दिया कि वो अफ्रीका के 54 देशों को 20 हजार टेस्ट किट और 1 लाख मास्क दे, अब सोचिए कि जो जनता अमेरिका और बड़े बड़े देशों पर इस समय ध्यान नहीं दे रही है, वो अफ्रीकी देशों पर क्या ध्यान देती लेकिन चीन ने एक कूटनीतिक चाल चली और जिन देशों पर दुनिया के किसी देश ने मदद नहीं पहुंचाई थी, उनकी भी मदद की, अब आप सोचिए कि क्या वो देश चीन की तारीफ नहीं करेंगे, लेकिन ये काम पहले अमेरिका था, जो अब चीन कर रहा है, क्यों कि अमेरिका के हालात खुद से निपटने के नहीं हैं तो वर्ल्ड की तरफ क्या देखेगा, ये वो समय है जब चीन दुनिया को ये संदेश दे रहा है कि अगर आपको कोरोना वायरस से लड़ना है तो चीन से आपको दोस्ती करनी पड़ेगी ।
कोरोना से इस जंग में दुनिया के किसी भी देश को इन मेडिकल संसाधनों की जरूरत पड़ती है, पहला सर्जिकल मास्क, जो इस समय में दुनिया में जितना बन रहा है, उसका दस गुना अकेले चीन में बन चुका है, दूसरा है N-95 रेस्पिरेटर्स, दुनियाभर के 50 फीसदी रेस्पिरेटर्स अकेले चीन बना रहा है, इतना ही नहीं जो विदेशी कंपनियां चीन में काम रही हैं, उनको आदेश दिया गया है कि आप रेस्पिरेटर्स बनाएंगे और चीनी सरकार को बचेंगे और चीन की सरकार ये तय करेगी किस देश को ये सब देना है, अब चीन को जिस देश से दोस्ती करनी है, जिस देश के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना है या जिन देशों के साथ नीतिगत फैसले लेने हैं, चीन उनको ये रेस्पिरेटर्स दे रहा है ।
चीन इस समय अपने संसाधनों को या ये कहें कि रेस्पिरेटर्स या मास्क को फॉरेन टूल की तरह इस्तेमाल हो रहा है, इतना ही नहीं दुनियाभर में जो दवाइयां बनती हैं, उनमें चीन का कोई ना कोई प्रोडक्ट जरूर होता है, क्यों कि 90 फीसदी दवाई कंपनियों पर चीन का हाथ है, चीन दुनिया का ऐसा देश है जो बहुत बड़ी मात्रा में दवाइयां बनाता है, अब दूसरी तरफ अमेरिका को देखिए, जिसके पास जरूरत से बहुत कम मास्क हैं और जरूरत के 10 फीसदी वेंटिलेटर हैं वो भी इन भयावह हालातों में, अब अगर अमेरिका को बाकी के संसाधन चाहिए तो चीन की शरण में जाना पड़ेगा या अपने यहां डोमेस्टिक प्रोडक्शन बढ़ाना पड़ेगा जो इन हालातों में संभव नहीं है ।
अब ये भी जान लीजिए कि चीन का अगला कदम क्या हो सकता है ?
1- इस समय चीन बेहिसाब लोन देगा, कई देश इस लोन तले दब जाएंगे।
2- भारत की तरह चीन की समस्या भी तेल है, ऐसे समय में चीन उन देशों के साथ तेल पर बड़ी डील कर सकता है, जिनका कच्चे तेल का उत्पादन अच्छा है, चीन आज की कीमतों पर तेल खरीदेगा और उसे लंबे समय के लिए स्टॉक कर लेगा, इस तरह चीन को तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा क्यों कि कच्चे तेल की कीमतें इस समय बेहद कम हैं और अगर चीन तेल को स्टॉक करेगा तो आने वाले समय में मुंह मांगी कीमत भी मिलेगी ।
3- इतनी ही नहीं जिस चीन के अभी सबसे कम दोस्त हैं, इस मददगार चीन वाले चोले से चीन का रुतबा और बढ़ेगा और वो जिन वर्ल्ड फोरम पर अकेला पड़ जाता है, वहां इन देशों का चीन को साथ मिलेगा ।
4- चीन को खुद कोरोना वायरस से कोई समस्या नहीं होगी क्यों कि चीन एक मेकर भी है और कंज्यूमर भी है, चीन इस समय ऐसे हालातों में है कि वो ना सिर्फ अपनी बल्कि पूरी दुनिया की जरूरतों को पूरा कर सकता है, इसलिए वो जो बनाएगा उसको खरीदना पूरी दुनिया की मजबूरी होगी, क्यों कि पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है, ये वो दौर है जब सबको चीन को सलाम करना पड़ेगा, जैसे मौके पर गधे को बाप बनाना पड़ता है ।
अनुराग सिंह, वरिष्ठ पत्रकार, दिल्ली