लोगों का मानना- विश्व युद्ध होगा जी हां अमेरिका तनाव के बीच लोगों का मानना है कि, विश्व युद्ध होगा जहां परमाणु हथियार सबसे बड़ा खतराआने वाले समय में लोगो का को युद्ध का डर सता रहा हैं इस चिंता के पीछे मुख्य रूप से रूस-अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव हैं
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से दहशत में पश्चिमी देश: रूस-अमेरिका तनाव और परमाणु हथियार सबसे बड़ा खतरा
दुनिया में शांति की जो बुनियाद 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद रखी गई थी, वह अब कमजोर पड़ती दिख रही है। 80 वर्षों बाद एक बार फिर पश्चिमी देशों में तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को लेकर चिंता गहराने लगी है। हाल ही में किए गए एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में यह बात सामने आई है कि अमेरिका और यूरोप के नागरिकों के मन में आने वाले वर्षों में वैश्विक युद्ध का भय बना हुआ है। इस चिंता के पीछे मुख्य रूप से रूस-अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव, परमाणु हथियारों का प्रसार और बदलती वैश्विक रणनीतियाँ हैं।
यूगोव सर्वे: चिंताजनक आंकड़े
ब्रिटेन स्थित रिसर्च फर्म YouGov द्वारा किए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि 55% पश्चिमी नागरिकों को आने वाले 5 से 10 वर्षों के भीतर तीसरे विश्व युद्ध की संभावना नजर आती है। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि 76% लोगों को यह आशंका है कि यदि ऐसा युद्ध हुआ, तो उसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी किया जाएगा, जिससे मानवता पर अभूतपूर्व खतरा मंडराने लगेगा।
सर्वे के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में लोग अपने-अपने राष्ट्रों के युद्ध में शामिल होने की संभावना से चिंतित हैं। यह डर केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक और ऐतिहासिक अनुभवों पर आधारित है।
दूसरे विश्व युद्ध की यादें अभी भी ताजा
दूसरे विश्व युद्ध की विभीषिकाओं को आज भी लोग भूले नहीं हैं। सर्वे के अनुसार, 90% उत्तरदाता मानते हैं कि स्कूलों में बच्चों को WWII के बारे में पढ़ाया जाना आवश्यक है। यह जन-जागरूकता न केवल इतिहास को जीवित रखती है, बल्कि भविष्य की रणनीति को भी दिशा देती है।
सर्वे में पाया गया कि फ्रांस (72%), जर्मनी (70%) और ब्रिटेन (66%) के नागरिक WWII से संबंधित अच्छी जानकारी रखते हैं, जबकि स्पेन में यह आंकड़ा केवल 40% है। वहीं, 77% फ्रांसीसी और 60% जर्मन नागरिकों ने बताया कि उन्हें विद्यालय स्तर पर WWII के बारे में विस्तार से पढ़ाया गया था।
शांति के प्रयासों की जरूरत
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जितनी गहरी हो रही है, उतनी ही आवश्यकता वैश्विक स्तर पर शांति और सहयोग के प्रयासों की भी है। संयुक्त राष्ट्र, G20, नाटो और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस दिशा में गंभीरता से कार्य करना चाहिए ताकि कूटनीति और संवाद के माध्यम से किसी भी संभावित युद्ध को रोका जा सके।
दूसरे विश्व युद्ध की यादें आज भी ताजा
दूसरे विश्व युद्ध की यादें आज भी लोगों के मन में ताजा हैं। सर्वे में शामिल 90% लोग मानते हैं कि इस युद्ध को स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए।
फ्रांस (72%), जर्मनी (70%) और ब्रिटेन (66%) में लोग इस युद्ध के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं, जबकि स्पेन में यह आंकड़ा केवल 40% है। 77% फ्रांसीसी और 60% जर्मन कहते हैं कि उन्हें स्कूल में इस युद्ध के बारे में विस्तार से पढ़ाया गया।
52% लोगों को लगता है कि दुनियाभर में नाजी शासन जैसे अत्याचार आज भी संभव हैं। 60% का मानना है कि अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों में भी यह खतरा मौजूद है।
इस्लामिक आतंकवाद भी बड़ा खतरा
सर्वे में पश्चिमी यूरोप के 82% और अमेरिका के 69% लोगों ने रूस के साथ तनाव को सबसे बड़ा खतरा बताया। लोग मानते हैं कि रूस की सैन्य गतिविधियां और उसकी परमाणु क्षमता वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा हैं। रूस के अलावा, इस्लामिक आतंकवाद को भी बड़ा खतरा माना गया है। लोगों का मानना है कि इस पर जल्द काबू पाना जरूरी है। यह डर वैश्विक कूटनीति में बढ़ती दरारों का संकेत है।
66% ने नाटो और 60% ने संयुक्त राष्ट्र को शांति के लिए अहम माना
66% लोगों ने नाटो को युद्ध के बाद शांति बनाए रखने में सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना। 60% ने संयुक्त राष्ट्र को भी इस दिशा में महत्वपूर्ण माना। यूरोपीय संघ को भी 56% लोगों ने शांति का एक प्रमुख स्तंभ बताया।
सर्वे में यह भी सामने आया कि जर्मनी में 47% मानते हैं कि पहले की सरकारें नाजी अतीत को लेकर अति-सचेत रही हैं। लेकिन वर्तमान सरकार हाल के संकटों में मजबूत कदम उठाने में नाकाम रही है।
नाजी शासन जैसी तानाशाही की पुनरावृत्ति की आशंका
एक और गंभीर पहलू यह है कि 52% उत्तरदाता मानते हैं कि दुनिया में नाजी शासन जैसे अत्याचार दोबारा हो सकते हैं। यही नहीं, 60% लोगों को लगता है कि अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में भी लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है। यह दृष्टिकोण बताता है कि आधुनिक समाज भी तानाशाही की ओर लौटने के जोखिम से अछूता नहीं है।
पश्चिमी देशों की सैन्य क्षमता पर संदेह
सर्वे से यह बात भी सामने आई कि कई यूरोपीय देशों के नागरिकों को अपनी सेनाओं की रक्षा क्षमता पर पूर्ण विश्वास नहीं है। रूस जैसे देशों की आक्रामक रणनीति को देखते हुए यूरोप के नागरिक चिंतित हैं कि उनके देश ऐसे किसी संभावित युद्ध के दौरान पर्याप्त रक्षा कर पाएंगे या नहीं।
शांति के प्रयासों की जरूरत
तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जितनी गहरी हो रही है, उतनी ही आवश्यकता वैश्विक स्तर पर शांति और सहयोग के प्रयासों की भी है। संयुक्त राष्ट्र, G20, नाटो और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस दिशा में गंभीरता से कार्य करना चाहिए ताकि कूटनीति और संवाद के माध्यम से किसी भी संभावित युद्ध को रोका जा सके।
निष्कर्ष