नई दिल्ली: भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां खेती मुख्य स्रोत हैं। भारत में सरकार भी खेती पर ध्यान देती हैं। बता दें कि भारत विश्व का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश है पांच साल में ही छह गुना बढ़ गया है सरकार भी किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं लाती रहती हैं।
हालांकि भारत अभी भी दाल आयात करने वाला बड़ा देश बना हुआ है, लेकिन आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदमों के कारण निर्यात की गति आयात से कहीं अधिक रही है। वित्त वर्ष 2014-15 में जहां भारत ने 17,063 करोड़ रुपये की दालें आयात की थीं, वहीं वित्त वर्ष 2024-25 की समान अवधि में यह आंकड़ा 31,814 करोड़ रुपये रहा, यानी करीब 86.45 प्रतिशत की वृद्धि।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर विजन’ के तहत भारत दालों में तेजी से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। बीते 10 वर्षों में देश में दालों का निर्यात, आयात की अपेक्षा तेजी से बढ़ा है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ”भारत का दालों का निर्यात वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में 4,437 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पूरे वित्त वर्ष 15 में यह 1,218 करोड़ रुपये था. इस तरह, बीते 10 वर्षों में भारत का दाल निर्यात 264.29 प्रतिशत बढ़ा है।’
हालांकि भारत की दाल खपत अभी भी वैश्विक औसत से अधिक है, लेकिन उत्पादन और निर्यात में जारी प्रगति इसे जल्द ही संतुलित कर सकती है। सरकार को अब और अधिक राज्यों को दाल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, साथ ही भंडारण और सप्लाई चेन ढांचे को मजबूत बनाना होगा ताकि किसान को उत्पादन का पूरा लाभ मिल सके।