अमेरिकी कंपनियों पर अब टैक्स नहीं लगाएगा कनाडा – बिजनेस पर फिर बात करेंगे जी हां कनाडा का बड़ा फैसला बता दे कि, 21 जुलाई तक व्यापार समझौते पर फिर से बातचीत शुरू हो सकती है।
बताते चले कि,27 जून को ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए कहा था, कि, “हम कनाडा को अगले 7 दिनों में बता देंगे कि उसे अमेरिका के साथ बिजनेस करने के लिए कितना टैरिफ देना होगा।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने रविवार को एक बयान में कहा कि वह और ट्रम्प अब व्यापार वार्ता फिर से शुरू करने पर राजी हो गए हैं। कनाडाई वित्त मंत्रालय के मुताबिक, कार्नी और ट्रम्प के बीच
ट्रम्प ने 27 जून को कनाडा को धमकी दी थी कि अगर उसने अमेरिकी कंपनियों पर टैक्स लगाया, तो वे कनाडा पर जल्द नया टैरिफ लगा देंगे। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर कहा, ‘हम कनाडा को अगले 7 दिनों में बता देंगे कि उसे अमेरिका के साथ बिजनेस करने के लिए कितना टैरिफ देना होगा।’
ट्रम्प के टैरिफ को लेकर बातचीत से पीछे हटने के बाद कनाडा के PM मार्क कार्नी ने कहा था कि वह कनाडा की जनता के हित में अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखना चाहते हैं।
वहीं, अमेरिका के ट्रेजरी सचिव यानी कि वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें पहले से इस टैक्स के लगाए जाने की आशंका थी। हालांकि, अमेरिका और कनाडा के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत चल रही थी, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि कार्नी प्रशासन इसे लागू नहीं करेगा।
डिजिटल सर्विस टैक्स (DST) एक ऐसा कर है जिसे उन ऑनलाइन सेवाएं देने वाली विदेशी कंपनियों से वसूला जाना था, जो कनाडा में यूजर्स से कमाई कर रही थीं। इस टैक्स की दर 3% रखी गई थी और यह निम्न क्षेत्रों पर लागू होने वाला था:
बिजनेस विश्लेषकों के अनुसार, यदि यह टैक्स लागू होता, तो इससे अमेरिकी टेक कंपनियों को हर साल 2 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान होता। साथ ही अमेरिका में लगभग 3,000 नौकरियों पर संकट आ सकता था।
अमेरिका की ओर से कहा गया –
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें पहले से आशंका थी कि कनाडा यह टैक्स लगाने जा रहा है। हालांकि, अमेरिका को उम्मीद थी कि कनाडा प्रशासन इस पर पुनर्विचार करेगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच टैरिफ से संबंधित वार्ता जारी थी।
घरेलू कंपनियों को, जो कनाडा में ऑनलाइन यूजर्स से पैसा कमा रही हैं, उसे आय पर 3% टैक्स देना होगा। यह कानून 2022 से पुराने बिलों पर भी लगना था, यानी कंपनियों को पिछले कई सालों के टैक्स का पैसा देना होता।