चीन सहित कई देशों में ओमिक्रॉन के नए सब वैरिएंट के संक्रमण को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है, जिससे समझा जा सकता है। इस महामारी ने सबसे बड़ा सबक यही दिया है कि सतर्कता और जागरुकता से इससे बचा जा सकता है।
चीन सहित कई देशों में ओमिक्रॉन के नए सब वैरिएंट बीएफ 0.7 के संक्रमण ने भारत में भी कोरोना महामारी को लेकर नए सिरे से आशकाएं पैदा कर दी है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड की स्थिति को लेकर गरुवार को उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की है। दरअसल तीन साल पहले आई इस महामारी ने काफी सबक दिए हैं। जिनमें सबसे बड़ा सबक तो यही है कि इससे बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता जरूरी है। भारत में पिछले कई महीनों से संक्रमण की स्थिति नियंत्रित है और संक्रमण का रोजाना का औसत 150 के आसपास है, अभी एहतियात की जरूरत चीन, ब्रिटेन, ‘अमेरिका, जर्मनी, जापान और मेनमार्क जैसे देशों से संक्रमण बढ़ते मामलों को लेकर आ रही खबरों के कारण यही है। चीन में तो अगले कुछ महीनों में लाखों लोगों के संक्रमित होने का आकलन किया गया है, लेकिन यह भी सच है कि उसकी इस स्थिति के लिए यहां की जीरो कोविड नीति जिम्मेदार है, जिसके चलते वहां कड़ा लॉकडाटन लगाया गया था। इसीलिए जब यहां प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी, तो संक्रमण के मामले बढ़ने लगे।
इसके उलट भारत में, जैसा कि विशेषज्ञों का भी आकलन है कि टीके ने काफी बचाव किया है और बड़ी आबादी में कोरोना वायरस के प्रति इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। हालांकि संक्रमण कम होने के साथ ही टीके के बूस्टर डोज के प्रति लोगों ने उत्साह नहीं दिखाया। महामारीको लेकर समय रहते दिशा-निर्देश जारी किए जाने की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने एक-दो दिन के भीतर कई तरह की बैठकें की है। यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने नए साल के जश्न को लेकर आगाह भी किया है। अच्छा होता संसद सत्र दौरान ही सरकार कोविड की स्थिति को लेकर सर्वदलीय बैठक भी करती।
असल में स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारत यात्रा को लेकर पत्र जारी किया है और उन्हें हिदायत दी है। दूसरी ओर कांग्रेस और विपक्ष कर्नाटक से लेकर राजस्थान में निकाली जा रही और प्रदर्शन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि महामारी से एकजुट होकर ही निपटा जा सकता है। इस समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि विदेशों से आने वाले लोग अपने साथ संक्रमण लेकर न आएं।