नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजार की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। अमेरिका और यूरोप ने रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिए, लेकिन भारत ने अपने ऊर्जा हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से बड़े पैमाने पर डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। इस कदम से भारत को राहत मिली, लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कड़ा संदेश दिया है।
रूस से तेल खरीद की पृष्ठभूमि
फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से पहले भारत की तेल आयात टोकरी में रूस की हिस्सेदारी 2% से भी कम थी। भारत मुख्य रूप से खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात से कच्चा तेल आयात करता था।
अमेरिका और यूरोप का मानना है कि रूस से तेल खरीदने से उसकी अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है और वह युद्ध जारी रख पाता है। अमेरिका चाहता है कि भारत और चीन जैसे बड़े बाजार रूस पर दबाव बनाएं।
भारत ने अमेरिका को साफ संदेश दिया है कि ऊर्जा सुरक्षा उसके लिए प्राथमिकता है। लेकिन ट्रंप प्रशासन का दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर टैरिफ लंबे समय तक जारी रहा तो यह दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है। फिलहाल भारत ने अमेरिका के इस कदम को “अनुचित और अन्यायपूर्ण” बताया है। कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है।