Friday, November 15, 2024
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पूर्व नागपुर और नागपुर मध्य में के मुद्दे बदलेंगे नागपुर की सियासी फिजा?

नागपुर। पूर्व नागपुर में यहां डंपिंग यार्ड को लेकर क्षेत्र के लोगों में बड़ी नाराजगी है उनका कहना है कि 5 किलोमीटर तक दुर्गंध रहती है बच्चे बड़े सभी बीमारियों की जड़ में आ रहे हैं। इस क्षेत्र के लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि आने वाले वक्त में कहीं एक कचरे का पहाड़ किसी बड़ी महामारी का रूप ना ले ले। राजनेताओं से लेकर प्रशासन तक शिकायत के बाद भी कोई समाधान मिलता नजर नहीं आ रहा है। कामठी इलाके में प्रस्तावित पावन गांव कत्ल खाना को लेकर भी स्थानीय लोगों में लगातार गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीण लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं हाल ही में यहां अधिकारियों की टीम भी आई थी जिसे ग्रामीणों ने वापस लौटा दिया था। भांडेवाड़ी में आदिवासी और उड़िया लोगों की बस्ती है यहां के लोगों को सरकारी योजनाओं का कोई भी लाभ नहीं मिला। इस इलाके में लोग बैनर और पोस्ट के घर बनाकर रहने को मजबूर है। भरतवाड़ा, भारत नगर, नेताजी नगर, पूनापुर के रहवासियों की शिकायत है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर उनके घरों को तोड़ा जा रहा है। आम जनता का कहना है कि नागपुर में बिजली का उत्पादन होता है लेकिन उन्हें बिजली महंगे दामों पर दी जा रही है।

सरकारी स्कूलों बंद करने की साजिश ?

नागपुर के 400 सरकारी स्कूलों को बंद करने के सरकारी आदेश का आम लोगों में जमकर विरोध है। मिनी माता नगर, बाबूल वन, वोठोड़ा इलाके में स्कूल या तो बंद हो गए हैं या बंद होने जैसे हालात हैं। वहीं आम लोगों की शिकायत हैं कि जब सरकारी स्कूल ही बंद हो जाएंगे तो गरीबों के बच्चे फिर कहां पढ़ाई करेंगे? अगर बच्चों ने पढ़ाई लिखाई नहीं की तो डर है कि वो अपराध की दुनियां में कदम रख लें।

नगर सेवकों से नाराजगी पड़ेगी भारी ?

नगर सेवकों की नाकामी को लेकर आम जनता का गुस्सा यहां लगातार फूटता रहा है। मिनी माता नगर में आम लोग यहां के नगर सेवक अनिल गेंडरे के कामकाज को लेकर काफी नाराज हैं। इतना ही नहीं कुछ साल पहले सतनामी समाज के लोगों ने तो पिटाई तक कर दी है। इन पर महिला के साथ मारपीट करने का आरोप है। कुछ इलाकों में लोगों का कहना है कि लंबे समय से कार्पोरेशन के चुनाव नहीं हुए हैं तो हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है। यहां कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने प्रभाग – 1 के नगर सेवक विरेंद्र कुकरेजा को लेकर नाराजगी जाहीर की। लोगों का कहना है कि लंबे समय से वादे कर रहे हैं लेकिन काम आज तक नहीं हुए। इन्हें भी कई बार स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ चुका है।

यहां एक बड़ी संख्या बेरोजगार युवाओं की भी है। उनका कहना है कि डिग्रियां पूरी कर ली है लेकिन रोजगार के लिए शहर में कोई अवसर नहीं है। शहर की कानून व्यवस्था को लेकर भी बड़ी संख्या में लोग सवाल उठा रहे हैं। सरेआम गोलीबारी, हत्या, लूट जैसी घटनाएं आम हो गई है। राज्य में बीजेपी की सरकार है खुद उप-मुख्यमंत्री जी नागपुर से हैं तो शहर के लिए क्या कर रहे हैं? डर के साए में जीने के लिए वोट दें ?

शहर में जगह-जगह अधूरे निर्माणकार्यों से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। उनका कहना है कि निश्चित समयसीमा के बावजूद भी काम पूरा नहीं हो रहा है। जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही है, आम जनता परेशान हो रही है। यहां कुछ निर्दलियों और समाज प्रतिनिधियों ने बातचीत में कहा कि कांग्रेस के पास भी एक समय में संसद में बड़ा संख्या बल था लेकिन देश में डर का वातावरण नहीं था। आज लोग भय के कारण बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं। सरकारी ऐजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

नागपुर मध्य की आम जनता घूसखोरी से परेशान और योजनाओं के लाभ से वंचित

यहां इंडिया अगेंस्ट ईवीएम फोरम के साथ मिलकर कई निर्दलीयों ने ईवीएम से वोटिंग का विरोध किया, इसमें कुछ स्थानी लोग भी साथ थे जो अब नाराज हैं। यहां का वोटर्स हो सकता है नोटा का भी उपयोग करे। शहर में कॉलेज तो कई हैं मगर यहां कौशल विकास छात्रों के अंदर विकसित नहीं होने के कारण उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही है, इंजीनियरिंग करने के बावजूद भी युवा बेरोजगार है। कई बड़ी कंपनियों को नागपुर में स्थापित करने का श्रेय लोग नितिन गडकरी जी को दे तो रहे हैं मगर शिकायत भी है कि बाहरी लोग यहां अधिक संख्या में रोजगार के लिए आ रहे हैं और स्थानीय लोगों को किसी भी तरह की प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। इसी के साथ मिहान में कई कंपनियों को लाकर रोजगार के अवसर बढ़ाने की मांग भी शहर का युवा कर रहा है। यहां के स्थानीय लोगों की शिकायत है कि सरकारी स्कूलों की दुर्गति होने से एक लाख से ज्यादा डोनेशन देने को माता-पिता मजबूर हो रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ घूसखोरी के कारण भी यहां की आम जनता परेशान है लोगों का कहना है की घूसखोरी के कारण उनके कामकाज नहीं हो पाते हैं सरकारी बाबू काम के बदले पैसा मांगते हैं।

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