भारत में आम को “फलों का राजा” कहा जाता है। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आम की खेती का बड़ा योगदान है। लाखों किसान आम की बागबानी करके न केवल घरेलू उपभोग की जरूरत पूरी करते हैं बल्कि विदेशी बाजार में भी भारी निर्यात से अच्छा मुनाफा कमाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान सितंबर महीने में बागों की सही देखभाल करें तो अगले सीजन में उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है।
बारिश के मौसम में अधिक नमी होने से लाल जंग और एन्थ्रेक्नोज जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इन रोगों से बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करना जरूरी है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि सितंबर में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का दो से तीन बार छिड़काव करें, ताकि पत्तियों और टहनियों पर संक्रमण न फैले.
अक्टूबर में डाई-बैक रोग के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. ऐसे में समय पर रोकथाम करना जरूरी है. डॉ. शाह ने बताया कि अगर टहनियों के सिरे सूखने लगें तो तुरंत छंटाई करें और छंटाई के बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें. यह बीमारी अगर समय पर नियंत्रित न हो तो पेड़ की वृद्धि पर गंभीर असर डाल सकती है. इसके अलावा, गमोसिस जैसी समस्या से निपटने के लिए बोर्डो पेस्ट का इस्तेमाल करें. प्रभावित हिस्सों पर कॉपर सल्फेट लगाने से भी फायदा होता है. यह समस्या खासकर पुराने पेड़ों में अधिक देखने को मिलती है.
सितंबर में आम की तुड़ाई पूरी हो चुकी होती है। पेड़ इस समय विश्राम अवस्था में होते हैं और अगली सीजन के फूल और फल की तैयारी शुरू करते हैं। ऐसे में पेड़ों को सही पोषण, कीट और रोग नियंत्रण तथा समय पर छंटाई देने से पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है।
आम की खेती से जुड़े किसानों के लिए सितंबर का महीना सबसे अहम है। इस दौरान खाद और उर्वरक का सही प्रबंधन, रोग और कीट नियंत्रण, छंटाई तथा बाग की सफाई करके किसान अगले सीजन में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाला फल प्राप्त कर सकते हैं। सही समय पर की गई यह तैयारी न सिर्फ पैदावार बढ़ाएगी बल्कि किसान की जेब भी नोटों से भर देगी।