भारत में आलू सबसे अधिक खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है और किसानों के लिए यह एक नकदी फसल साबित होती है। सितंबर का महीना आलू की अगेती किस्म की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। किसान इस अवधि में बुवाई करके दीपावली से पहले नई फसल तैयार कर लेते हैं और बाजार में शुरुआती आवक का फायदा उठाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
बुवाई से पहले बीज उपचार क्यों है जरूरी?
आलू की खेती में सबसे बड़ी चुनौती है—फसल को लगने वाले रोग। पत्तियों पर झुलसा रोग, ब्लाइट, फफूंद और वायरस जैसी बीमारियां अक्सर पैदावार को प्रभावित करती हैं। अगर किसान बुवाई से पहले बीज का उपचार कर लें तो इन बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
जो भी किसान आलू की अगेती किस्म उगाना चाहते हैं उनके लिए ये अच्छा समय है. अभी खेती करने पर किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा, क्योंकि शुरुआती दिनों में नए आलू की आवक बाजार में कम होती है, जिसकी वजह से मांग अधिक रहती है. ऐसे में किसानों को अच्छी पैदावार के लिए आलू की बुवाई से पहले बीज का उपचार जरूर कर लेना चाहिए. बीज उपचार करने से फसल को रोगों से बचाया जा सकता है. साथ ही फसल तैयार करने में किसानों की लागत में कमी आएगी और उत्पादन ज्यादा मिलेगा.
खेत की तैयारी और मिट्टी का चुनाव
आलू की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी बेहद जरूरी है।
- खेत की जुताई गहरी होनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी और जलनिकास वाली बने।
- आलू की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है।
- खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।
- सिंचाई और जलनिकास की व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा नमी से फसल में गलन रोग का खतरा बढ़ जाता है।
बता दें कि, सितंबर महीना आलू की अगेती बुवाई का सुनहरा समय है। अगर किसान बुवाई से पहले बीज उपचार और खेत की सही तैयारी करें तो पैदावार न केवल अधिक होगी, बल्कि फसल स्वस्थ भी रहेगी। शुरुआती आवक का फायदा उठाकर किसान बाजार में बेहतर दाम पा सकते हैं और अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं।