भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू हुए अब कई साल बीत चुके हैं। शुरुआत से ही सरकार लगातार इसके ढांचे को सरल बनाने और उपभोक्ताओं को राहत देने की दिशा में सुधार करती रही है। इसी कड़ी में आज से GST 2.0 लागू हो गया है, जिसके तहत नई दरें प्रभावी हो गई हैं। इन बदलावों का सीधा असर आम लोगों से लेकर उद्योग जगत तक पर देखने को मिलेगा। नई दरों से कई रोज़मर्रा की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, वहीं कुछ सेवाओं पर अतिरिक्त कर का बोझ भी पड़ेगा।
सड़क मार्ग से यात्री परिवहन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के बिना 5 प्रतिशत कर लगता रहेगा। वहीं, हवाई यात्रा के लिए, इकोनॉमी क्लास के टिकटों पर 5 प्रतिशत कर लगता रहेगा, जबकि बिजनेस और अन्य प्रीमियम क्लास पर 18 प्रतिशत कर लगता रहेगा।
स्थानीय डिलीवरी सेवाओं पर जीएसटी: नए नियमों के अनुसार, यदि कोई स्थानीय डिलीवरी सेवाएं किसी बिना रजिस्टर्ड सेवा प्रदाता द्वारा ई-कॉमर्स ऑपरेटर से प्रदान की जा रही है। इस स्थिति में जीएसटी की देयता ई-कॉमर्स ऑपरेटर पर स्थानांतरित हो जाती है।
आइए जानते हैं GST 2.0 के 10 बड़े बदलाव और उनके असर को विस्तार से—
1. जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी समाप्त
जीवन बीमा पॉलिसी लेने वालों के लिए यह सबसे बड़ी राहत है। अब व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसियों पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। पहले इन पर 18% तक कर देना पड़ता था। इस बदलाव से न केवल बीमा धारकों की जेब पर बोझ कम होगा बल्कि बीमा क्षेत्र में लोगों की भागीदारी भी बढ़ सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि टैक्स हटने से अधिक लोग जीवन बीमा की ओर आकर्षित होंगे।
2. स्वास्थ्य बीमा भी टैक्स-फ्री
ठीक इसी तरह व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर भी जीएसटी को समाप्त कर दिया गया है। आज की तारीख में मेडिकल खर्च आम आदमी की जेब पर भारी बोझ डालता है। अब स्वास्थ्य बीमा लेना सस्ता और किफायती हो जाएगा। इससे लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और स्वास्थ्य सुरक्षा का दायरा भी व्यापक होगा।
3. दवाओं पर राहत – अब सिर्फ 5% कर
सरकार ने दवाओं पर जीएसटी पूरी तरह खत्म तो नहीं किया, लेकिन इन्हें 5% स्लैब में डाल दिया है। पहले कई दवाओं पर 12% या उससे अधिक कर लगता था। वित्त मंत्रालय का कहना है कि यदि दवाओं को पूरी तरह छूट दे दी जाती तो निर्माता कच्चे माल और पैकेजिंग पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा नहीं कर पाते। नए स्लैब से मरीजों और उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिलेगी।
4. दूध पर अलग-अलग नियम
डेयरी स्रोतों से प्राप्त अल्ट्रा हाई टेम्परेचर (UHT) दूध को पूरी तरह जीएसटी मुक्त कर दिया गया है। यानी अब पैक्ड डेयरी दूध और रोज़ाना इस्तेमाल होने वाला दूध टैक्स-फ्री है। हालांकि, वनस्पति-आधारित दूध (जैसे सोया मिल्क, बादाम मिल्क) पर अब 5% जीएसटी लागू होगा। इसका सीधा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जो शाकाहारी या लैक्टोज-फ्री विकल्प चुनते हैं।
5. फेस पाउडर और शैंपू होंगे सस्ते
कास्मेटिक और पर्सनल केयर सेगमेंट में भी बदलाव हुआ है। अब फेस पाउडर और शैंपू की कीमतों में कमी आएगी क्योंकि इन पर जीएसटी दरें घटाई गई हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि जीएसटी संरचना को सरल और उपभोक्ता हितैषी बनाने के लिए उठाया गया है।
6. किराए और लीज पर भी समान दर
यदि कोई वस्तु खरीदी जाती है और उस पर 18% जीएसटी लगता है, तो बिना ऑपरेटर उसे किराए या लीज पर लेने पर भी उतना ही कर लगेगा। उदाहरण के लिए, अगर कार की बिक्री पर 18% टैक्स है, तो बिना चालक कार किराए पर लेने पर भी उतना ही टैक्स देना होगा। यह नियम अन्य वस्तुओं पर भी समान रूप से लागू होगा।
7. आयात पर भी नई दरें
जीएसटी 2.0 की दरें अब आयातित वस्तुओं पर भी लागू होंगी। एकीकृत जीएसटी (IGST) 22 सितंबर से संशोधित दरों के साथ लागू कर दिया गया है। जब तक किसी वस्तु के लिए अलग से छूट अधिसूचित नहीं की जाती, तब तक नई दरें ही लागू रहेंगी। इसका असर अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आयातित वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा।
8. यात्री परिवहन पर कर यथावत
सड़क मार्ग से यात्री परिवहन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के बिना 5% जीएसटी जारी रहेगा। वहीं, हवाई यात्रा के लिए इकोनॉमी क्लास के टिकटों पर 5% कर और बिजनेस क्लास पर 18% कर यथावत रहेगा। इसका मतलब यह है कि आम यात्रियों के लिए कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन बिजनेस क्लास पर कर का बोझ बरकरार है।
9. ई-कॉमर्स और लोकल डिलीवरी सेवाओं पर बदलाव
नई व्यवस्था के अनुसार, यदि कोई स्थानीय डिलीवरी सेवा किसी बिना रजिस्टर्ड प्रदाता द्वारा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से दी जाती है, तो जीएसटी की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की बजाय सीधे ई-कॉमर्स कंपनी पर आ जाएगी। इससे सरकार को टैक्स संग्रह आसान होगा और अनियमितताओं पर लगाम लगेगी।
10. उपभोक्ता और उद्योग जगत पर प्रभाव
जीएसटी 2.0 का सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा क्योंकि रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हो रही हैं। बीमा और दवाओं पर राहत से आम लोगों की जेब पर बोझ कम होगा। वहीं उद्योग जगत के लिए यह सुधार व्यापारिक पारदर्शिता और टैक्स अनुपालन को सरल बनाएगा। हालांकि, किराए, लीज और आयात पर बढ़ा कर उद्योगों के लिए कुछ चुनौतियां भी ला सकता है।
बता दें कि, जीएसटी 2.0 के तहत लागू नई दरें सरकार की उस नीति को दर्शाती हैं जिसमें वह टैक्स ढांचे को सरल बनाना और उपभोक्ताओं को राहत देना चाहती है। बीमा और दवाओं पर राहत से समाज के कमजोर वर्ग को सीधा फायदा होगा। दूध और रोज़मर्रा की वस्तुओं पर छूट ने आम परिवारों को राहत दी है।
