अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए दावा किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रम्प ने रविवार को अपने विमान में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उन्होंने कहा है कि वे रूस से तेल का व्यापार नहीं करेंगे।”
ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता रहा है। ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ। व्हाइट हाउस प्रेस सचिव केरोलिना लेविट के मुताबिक इसका मकसद रूस पर सेकेंडरी प्रेशर डालना है, ताकि वह युद्ध खत्म करने पर मजबूर हो सके।
विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के दावे को किया खारिज
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 16 अक्टूबर को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी।” उन्होंने आगे कहा कि भारत की ऊर्जा नीति पूरी तरह से अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है और इसका उद्देश्य स्थिर कीमतों और सुरक्षित आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
ट्रम्प का दावा और अमेरिका का दबाव
ट्रम्प ने अपने बयान में एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया और कहा कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना युद्ध को और लंबा खींचता है। उन्होंने कहा कि रूस को मिलने वाले तेल के पैसे यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देते हैं। ट्रम्प प्रशासन ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए भारत सहित उन देशों पर दबाव बनाया है जो रूस से ऊर्जा आयात कर रहे हैं।
भारत पर अमेरिका के टैरिफ और पेनल्टी
ट्रम्प प्रशासन अब तक भारत पर कुल 50 टैरिफ लगा चुका है। इनमें से 25% “रेसीप्रोकल टैरिफ” यानी ‘जैसे को तैसा शुल्क’ है, जो अमेरिकी वस्तुओं पर भारत द्वारा लगाए गए शुल्क के जवाब में लगाया गया। वहीं बाकी 25% “पेनल्टी टैरिफ” रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया है।
बता दें कि, डोनाल्ड ट्रम्प के नए दावे ने एक बार फिर भारत-अमेरिका संबंधों में असहजता पैदा कर दी है। जबकि भारत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा नीति जनता के हितों पर आधारित है। फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत रूस से तेल खरीद बंद करेगा। बल्कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक हितों और वैश्विक साझेदारी— इन तीनों के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने के पक्ष में है।