नई दिल्ली में मंगलवार का दिन भारतीय खेल जगत और सेना दोनों के लिए ऐतिहासिक रहा। भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने विशेष पिपिंग समारोह (Pipping Ceremony) में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। इस मौके पर देशभर से आए सैन्य अधिकारियों और खेल मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भी इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
नीरज ने देश को कई गौरवपूर्ण पल दिए. वे ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं. 2020 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने स्वर्ण पदक ज.एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और डायमंड लीग में कई स्वर्ण पदक उनके नाम हैं. उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो 90.23 मीटर (2025) है. यह दूरी उनकी कड़ी मेहनत सेहासिल किया हैं।
भारतीय सेना की यूनिफॉर्म में दिखे नीरज चोपड़ा
कार्यक्रम में जब नीरज चोपड़ा ने सेना की वर्दी पहनी, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। वह इस सम्मान को पाकर गर्व से मुस्कुरा रहे थे। अपने संबोधन में नीरज ने कहा,
“यह सम्मान मेरे लिए पदक जीतने से कम नहीं है। भारतीय सेना ने मुझे हमेशा अनुशासन, समर्पण और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी है। यह जिम्मेदारी मेरे लिए गर्व का विषय है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीरज को बधाई देते हुए कहा कि,
“नीरज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने दिखाया कि अनुशासन, मेहनत और देशभक्ति के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
बता दें कि, नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खांडरा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनमें खेलों के प्रति गहरी रुचि थी। उन्होंने 2016 में भारतीय सेना में बतौर नायब सूबेदार (Naib Subedar) के रूप में जॉइन किया और राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट का हिस्सा बने। सेना में रहते हुए उन्होंने अपने खेल करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
ट्रैक एंड फील्ड में इतिहास रचने वाले पहले भारतीय
नीरज चोपड़ा ने ट्रैक एंड फील्ड में भारत को वो सम्मान दिलाया जो आज तक कोई नहीं कर पाया था।
- 2020 टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
- वे इस इवेंट में ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने।
- इसके बाद उन्होंने एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और डायमंड लीग में भी स्वर्ण पदक हासिल किए।
उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो 90.23 मीटर (2025) दर्ज है, जो विश्व स्तर पर भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक है।
सेना में सेवा और खेल में अनुशासन का मेल
भारतीय सेना हमेशा से खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती रही है, और नीरज इसका सबसे प्रेरक उदाहरण हैं। सेना में शामिल होने के बाद नीरज ने कहा था कि,
“सेना का अनुशासन और प्रशिक्षण ने मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाया। जब मैं मैदान में उतरता हूं, तो मुझे याद आता है कि मैं सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक सैनिक भी हूं।”
बता दें कि, नीरज चोपड़ा का लेफ्टिनेंट कर्नल बनना सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की खेल संस्कृति और सेना के गौरव का प्रतीक है। यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि जब मेहनत, अनुशासन और देशभक्ति एक साथ आते हैं, तो हर सपना साकार होता है।