इस्लामाबाद में मंगलवार को हुए आत्मघाती बम हमले ने पाकिस्तान की राजधानी को दहला दिया। यह हमला डिस्ट्रिक्ट कोर्ट परिसर के पास दोपहर के समय हुआ, जब इलाके में भारी ट्रैफिक था। धमाके में अब तक 12 लोगों की मौत और 36 लोग घायल होने की पुष्टि हुई है। घायलों में कई वकील, राहगीर और पुलिसकर्मी शामिल हैं।
धमाके के बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गई और सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र को सील कर दिया। अदालत परिसर को खाली करा लिया गया। वकीलों, न्यायाधीशों और अन्य नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। न्यायिक परिसर के पीछे से लोगों को बाहर जाने की अनुमति दी गई, जबकि न्यायाधीशों को भी वहां से सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को बताया जिम्मेदार
हमले के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बयान जारी करते हुए इस हमले के पीछे भारत की भूमिका का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “हमारे पास ऐसे संकेत हैं जो भारत की साजिश की ओर इशारा करते हैं। भारत लगातार पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है।”
शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान इस हमले की जांच कराएगा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की भूमिका के सबूत पेश करेगा।उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए और कहा कि “यह हमला पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को चुनौती देने की कोशिश है।”
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री के बयान के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बिल्कुल अलग दावा किया। उन्होंने मीडिया से कहा कि “हमारे पास पुख्ता जानकारी है कि यह हमला अफगानिस्तान की धरती से संचालित हुआ। वहाँ मौजूद आतंकी समूह पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाने की साजिश कर रहे हैं।”
ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सीमाओं पर अफगान आतंकियों की घुसपैठ लगातार बढ़ रही है और इस हमले में वही नेटवर्क शामिल हो सकता है। दोनों शीर्ष नेताओं के अलग-अलग दावों ने पाकिस्तान की सुरक्षा और नीति निर्माण तंत्र में गहराई तक फैली भ्रम की स्थिति को उजागर किया है।
बता दें कि, इस्लामाबाद धमाका एक बार फिर पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और सुरक्षा ढांचे की कमजोरी को उजागर करता है।
प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के विरोधाभासी बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व में स्पष्ट नीति और दिशा का अभाव है।
