बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और देश की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों में से एक, शेख हसीना को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद पूरा बांग्लादेश उथल-पुथल में डूब गया है। फैसले के सिर्फ कुछ घंटे बाद ही देश के कई हिस्सों में हिंसा, आगजनी, विरोध मार्च और सुरक्षा बलों के साथ टकराव की खबरें सामने आने लगीं। राजधानी ढाका इस हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहां कम से कम 50 लोग घायल हुए हैं, जिनमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
फैसला सुनाए जाने के बाद ढाका के धानमंडी 32 में सबसे ज्यादा हिंसक गतिविधियां देखी गई। इसके अलावा, प्रमुख बांग्लादेशी दैनिक ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 50 लोग घायल हुए हैं। बांग्लादेश के संस्थापक और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का घर धनमंडी 32 में स्थित है। प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालते हुए कई हाईवे को ब्लॉक कर दिया है। इसके साथ ही देश के अन्य इलाकों में तैनात सुरक्षा बलों के साथ झड़पें कीं हैं।
फैसला जिसने बांग्लादेश को झकझोर दिया
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने सोमवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए शेख हसीना को पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों से संबंधित मानवता के विरुद्ध अपराधों में दोषी ठहराया। अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसके साथ ही देश में राजनीतिक माहौल अचानक विस्फोटक हो गया।
बता दे कि, शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद बांग्लादेश जिस संकट से गुजर रहा है, वह केवल एक कानूनी फैसला नहीं बल्कि एक गहरे राजनीतिक तूफान की शुरुआत है। ढाका से लेकर छोटे जिलों तक फैल रही हिंसा ने देश की स्थिरता और सुरक्षा को बड़ा झटका दिया है। आने वाले दिनों में अदालत के फैसले, जनता के विरोध और सरकार की प्रतिक्रिया—इन तीनों पर निर्भर करेगा कि बांग्लादेश किस दिशा में आगे बढ़ता है।
