पटना बिहार की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दसवें कार्यकाल की शुरुआत ऐसे मंत्रिमंडल के साथ की है, जिसमें कई परिचित चेहरों के साथ 12 बिल्कुल अप्रत्याशित नेताओं को भी शामिल किया गया है। इस कदम ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार ने इस बार मंत्रियों के चयन में सिर्फ राजनीतिक अनुभव या पार्टी की मजबूती नहीं देखी, बल्कि सामाजिक समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन, युवा व नए नेतृत्व को अवसर जैसी बातों को प्रमुखता दी है।
फिर 2015 में बेगूसराय से चुनाव जीते और 2020 में बछवाड़ा से जीत हासिल की। वर्ष 2025 के 2025 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र मेहता ने अपनी पिछली परिणाम का रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक लाख तीन सौ मत हासिल कर जबरदस्त जीत दर्ज कर ली।
संजय सिंह टाइगर: शिक्षा, संघर्ष और अब मंत्री
भोजपुर जिले के आरा से विधायक, संजय सिंह टाइगर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं और पहली बार मंत्री बने हैं। उनके राजनीतिक जीवन की खास बात यह है कि वे पढ़ाई-लिखाई में काफी आगे रहे हैं।
- एएन कॉलेज से स्नातक,
- एलएलबी,
- और पारा-स्नातक की डिग्री।
50 वर्षीय संजय, चार भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता बिहार महालेखापाल के कार्यालय में कार्यरत थे। उनका मंत्री बनना भोजपुर क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मजबूत करने की रणनीति माना जा रहा है।
संजय टाइगर की साफ-सुथरी छवि, युवाओं में लोकप्रियता और संगठन से जुड़ाव उन्हें नई कैबिनेट में एक सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा।
बिहार की नई कैबिनेट में इन 12 अप्रत्याशित चेहरों का शामिल होना राजनीति में नई ऊर्जा और उत्साह लेकर आया है। यह कदम नीतीश कुमार और एनडीए की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है—
- सामाजिक संतुलन,
- प्रशासनिक विविधता,
- क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व,
- और उभरते नेताओं को अवसर देना।
अब देखना यह होगा कि ये नए मंत्री अपने-अपने विभागों में कैसा प्रदर्शन करते हैं और बिहार के विकास की गति को कितना आगे बढ़ाते हैं।
