आज भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट देखने को मिली है, जिसमें निवेशकों को लगभग ३.५० लाख करोड़ रुपए की तकलीफ सहनी पड़ी है। यह घटना केवल भारत तक सीमित नहीं रही बल्कि एशियाई व वैश्विक बाजारों में व्यापक संकट की तरह फैली हुई है। नीचे हम जानेंगे कि स्थिति क्या है, कौन-कौन से कारण हैं, और आगे निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
बीएसई पर 132 शेयरों में अपर सर्किट और 133 शेयरों में लोअर सर्किट लगा है. 3,882 शेयरों में से 1,160 शेयर तेजी पर कारोबार कर रहे हैं, जबकि 2,531 शेयर गरा इस प्रकार की बड़ी गिरावट किसी एक कारण से नहीं आती—इसके पीछे अनेक आंतरिक व बाहरी कारण मिलकर काम कर रहे हैं। मुख्य वजहें नीचे दिए जा रही हैं:
इस घटना के अर्थ व प्रभाव
– लगभग ३.५० लाख करोड़ रुपए के निवेशकों का धुंधले में जाना इस बात को दर्शाता है कि बाज़ार कितना संवेदनशील हो गया है।
– बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट से निवेशकों की धारणा कि “बड़ा सुरक्षित है” टूट सकती है।
– बैंकिंग, फाइनेंशियल-सर्विसेज और बड़े-कैप सेक्टर्स में अनिश्चितता बढ़ सकती है।
– इससे उपभोक्ता-विश्वास पर असर हो सकता है, क्योंकि शेयरमार्केट के गिरने से आम निवेशक-समुदाय में असुरक्षा का भाव बढ़ता है।यदि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बाहर निकलने लगें, तो लिक्विडिटी (तरलता) समस्या बढ़ सकती है।
बता दें कि, आज की यह तेजी से आई गिरावट यह संकेत देती है कि शेयर-बाज़ार अब न केवल विभिन्न सेक्टर्स के लिए, बल्कि वैश्विक आर्थिक संकेतों व निवेशकों की भावना के लिए और भी अधिक नाजुक हो गया है। ३.५० लाख करोड़ रुपए का नुकसान सिर्फ एक संख्या नहीं है, बल्कि यह सतर्कता का अलार्म है कि निवेश में शुभ-समय हमेशा स्थिर नहीं रहता। निवेशक को अब अधिक सतर्क, सूचित और धैर्यवान बने रहने की आवश्यकता है।
