अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर हाल ही में धर्म ध्वजा (केसरिया ध्वज) की स्थापना को लेकर पड़ोसी देश पाकिस्तान ने एक बार फिर आपत्ति जताई है। जहां भारत में इसे धार्मिक परंपरा और मंदिर निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा माना गया, वहीं पाकिस्तान ने इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता जताने का प्रयास किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण और अब धर्म ध्वजा की स्थापना को वह “मुसलमानों की विरासत के लिए खतरा” मानता है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर राम मंदिर के निर्माण और ध्वजारोहण को प… पाकिस्तान ने अतंर्राष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे भारत में कथित रूप से बढ़ते इस्लामोफोबिया, हेट स्पीच और नफरत की बुनियाद पर हो रहे कथित हमलोे हैं
अयोध्या में धर्म ध्वजा की स्थापना: धार्मिक परंपरा का हिस्सा
अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा फहराना हिंदू परंपराओं के अनुरूप एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। यह ध्वज मंदिर की पवित्रता, श्रद्धा और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। मंदिर निर्माण के क्रम में कई चरणों में धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं और ध्वज-स्थापना भी उनमें से एक महत्वपूर्ण चरण मानी जाती है।
इस ध्वजा को केसरिया रंग में बनाया गया है, जो हिंदू धर्म में साहस, त्याग और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, ध्वजारोहण विशेष वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया और इसे एक शुभ घटना के रूप में देखा गया।
पाकिस्तान की आपत्ति: धार्मिक अल्पसंख्यकों के ‘खतरे’ का दावा
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर मंदिर निर्माण और अब धर्म ध्वजा का फहराया जाना “भारत में मुसलमानों की ऐतिहासिक विरासत और पहचान को समाप्त करने का प्रयास” है। पाकिस्तान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत में मुसलमानों के खिलाफ “कथित बढ़ती नफरत और हेट स्पीच” को लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
बता दें कि, अयोध्या में धर्म ध्वजा की स्थापना एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है, जिसे भारत में व्यापक रूप से सकारात्मक और आस्था से जुड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को भारतीय विशेषज्ञों ने अपेक्षित और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। UN से अपील जैसे कदम पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं, लेकिन इनका वास्तविक असर क्या होगा, यह आने वाले समय में साफ होगा।
