उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में साक्षरता को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP) 2025–26 के तहत अब 15 वर्ष से अधिक आयु के असाक्षर लोगों का सर्वे शिक्षकों के बजाय शिक्षामित्र करेंगे। सरकार की ओर से जारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि इस बार सर्वे की मुख्य जिम्मेदारी पूरी तरह शिक्षामित्रों को सौंपी गई है।
इस निर्णय का उद्देश्य सर्वे प्रक्रिया को तेज, अधिक प्रभावी और जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना है, ताकि राज्य के 2027 तक के साक्षरता लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
सर्वे की पूरी जानकारी वे अपने प्रधानाध्यापक को सौंपेंगे। यह सर्वे पहले की तरह एनआइएलपी (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम) सर्वे एप पर ही होगा, ताकि पूरा डाटा समय से और सही तरीके से दर्ज हो सके। साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय ने पहले से निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर ही इस वर्ष का लक्ष्य तय किया है। अब लक्ष्य को समय पर पूरा करने के लिए शिक्षामित्रों को प्राथमिकता से सर्वे कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
वालंटियर्स का चयन भी शिक्षामित्र ही करेंगे
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा स्वयंसेवक प्रणाली है।
इसके तहत गांवों में ऐसे युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाता है, जो निरक्षर व्यक्तियों को पढ़ाने और शिक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद कर सकें।
शिक्षामित्रों की एक और बड़ी जिम्मेदारी यह भी होगी कि:
- सक्रिय और इच्छुक स्वयंसेवकों की पहचान करें
- उन्हें कार्यक्रम से जोड़ें
- उनके कार्य और उपलब्धता का विवरण रिपोर्ट करें
इससे ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता आंदोलन को सामुदायिक सहयोग मिलने की उम्मीद है।
NILP सर्वे ऐप पर होगा पूरा डिजिटल डाटा अपलोड
कार्यक्रम की पारदर्शिता और त्वरित निगरानी सुनिश्चित करने के लिए सर्वे पूरी तरह से डिजिटल मोड में किया जाएगा।
शिक्षामित्र अपने स्मार्टफोन के माध्यम से NILP (New India Literacy Programme) सर्वे ऐप पर डाटा दर्ज करेंगे।
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षामित्रों को नई जिम्मेदारी सौंपना एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय है। यह कदम न केवल राज्य के साक्षरता अभियान को गति देगा, बल्कि ग्रामीण शिक्षा संरचना को भी अधिक मजबूत बनाएगा। घर-घर जाकर असाक्षरों की पहचान करने और डिजिटल माध्यम से डाटा अपलोड करने की यह प्रक्रिया आधुनिक शिक्षा नीति का हिस्सा है, जो यह दर्शाती है कि सरकार बुनियादी शिक्षा को लेकर गंभीर और सक्रिय है।
