वेलिंगटन: भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताओं का सफलतापूर्वक समापन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने 22 दिसंबर 2025 को इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की। दोनों नेताओं ने इसे द्विपक्षीय आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। इस समझौते से अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने और न्यूजीलैंड से भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है।
हालांकि, इस समझौते पर न्यूजीलैंड में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इसे ‘न तो मुक्त और न ही निष्पक्ष’ बताया और कहा कि यह न्यूजीलैंड के लिए ‘बुरा सौदा’ है। पीटर्स की पार्टी न्यूजीलैंड फर्स्ट गठबंधन सरकार में नेशनल पार्टी की सहयोगी है, लेकिन उन्होंने ‘एग्री टू डिसएग्री’ प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए समझौते का विरोध किया है। उनकी मुख्य आपत्ति डेयरी सेक्टर पर है।
कुल मिलाकर, यह FTA भारत के इंडो-पैसिफिक रणनीति को मजबूत करेगा और वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच नए अवसर खोलेगा। हालांकि, न्यूजीलैंड में संसदीय प्रक्रिया में चुनौतियां बाकी हैं। दोनों देशों के संबंध मजबूत बने रहेंगे, लेकिन यह घटना गठबंधन राजनीति की जटिलताओं को उजागर करती है।
