तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने शनिवार को अपने देश को अमेरिका, इजराइल और यूरोप के साथ “पूर्ण युद्ध” (full-scale war) की स्थिति में घोषित कर दिया। यह बयान सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित एक साक्षात्कार में आया है। राष्ट्रपति ने इस युद्ध को 1980-1988 के ईरान-इराक युद्ध से भी अधिक जटिल, खतरनाक और व्यापक बताया, जिसमें दोनों पक्षों से लाखों लोग मारे गए थे।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में 29 दिसंबर को मुलाकात करने वाले हैं। इस बैठक में ईरान का परमाणु कार्यक्रम, बैलिस्टिक मिसाइल विकास और संभावित नई सैन्य कार्रवाई प्रमुख मुद्दे रहने की उम्मीद है। इजराइली अधिकारी ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन को फिर से तेज करने और हवाई रक्षा प्रणाली की मरम्मत को “तत्काल खतरा” मान रहे हैं।
जून 2025 का युद्ध और उसका प्रभाव
जून 2025 में इजराइल ने ईरान के प्रमुख रणनीतिक लक्ष्यों, परमाणु सुविधाओं और सैन्य ठिकानों पर आश्चर्यजनक हमला किया, जिसे “12-दिवसीय युद्ध” कहा गया। अमेरिका ने भी इसमें हिस्सा लिया और तीन प्रमुख परमाणु साइट्स – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर हमले किए। ईरानी रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हमलों में लगभग 1,100 ईरानी मारे गए, जिनमें वरिष्ठ सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक शामिल थे। इजराइल में ईरानी मिसाइल हमलों से 28 लोग मारे गए। राष्ट्रपति पेजेशकियन ने खुद दावा किया कि वे इस दौरान घायल हुए थे।
आर्थिक और राजनीतिक दबाव
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान युद्ध पारंपरिक युद्ध से कहीं ज्यादा मुश्किल है, क्योंकि इसमें आर्थिक प्रतिबंध, तेल निर्यात पर रोक और सांस्कृतिक-राजनीतिक दबाव शामिल हैं। ट्रम्प ने जनवरी 2025 में सत्ता संभालने के बाद “मैक्सिमम प्रेशर” नीति फिर शुरू की, जिसमें ईरान के तेल निर्यात को शून्य करने और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के कदम शामिल हैं। सितंबर 2025 में फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को फिर से लागू किया
राष्ट्रीय एकता की अपील
पेजेशकियन ने ईरानी लोगों से राष्ट्रीय एकता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि दुश्मन आंतरिक विभाजन का फायदा उठाना चाहते हैं। “वे घरेलू कलह पैदा करना चाहते हैं, समाज में निराशा फैलाना चाहते हैं। लेकिन हमारी एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” राष्ट्रपति ने कहा कि जून के हमलों के दौरान दुश्मन ने सोचा था कि लोग सड़कों पर उतर आएंगे और व्यवस्था ढह जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने पड़ोसी देशों, खाड़ी राज्यों, चीन, रूस और कैस्पियन सागर क्षेत्र के साथ संबंधों में सुधार का जिक्र किया।
बता दें कि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पेजेशकियन का यह बयान ईरान की आंतरिक मजबूती दिखाने और बाहरी दबाव के खिलाफ एकजुटता का संदेश है। यह बयान ट्रम्प-नेतन्याहू बैठक से ठीक पहले आया है, जो क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकता है। ईरान ने कहा है कि वह शांति चाहता है, लेकिन दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
