नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लंबी प्रतीक्षा और कानूनी जद्दोजहद के बाद आखिरकार लोधी एस्टेट में टाइप-VII श्रेणी का बंगला आवंटित कर दिया गया है। यह आवंटन सोमवार को हुआ और इसे राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के रूप में केजरीवाल के अधिकार के तौर पर देखा जा रहा है।
हाईकोर्ट में केजरीवाल की दलील
केजरीवाल के वकील सीनियर एडवोकेट राहुल मेहरा ने कोर्ट में दलील दी कि राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्षों को ऐतिहासिक रूप से टाइप-VII बंगला आवंटित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा, “आज मुझे टाइप-VI में नहीं धकेला जा सकता। मुझे स्पष्ट निर्देश चाहिए। मैं कोई चहेता नहीं हूं, बीएसपी की तरह नहीं।” यह बयान बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती के 35, लोधी एस्टेट आवंटन की ओर इशारा करता था।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की नीति
जुलाई 2014 में जारी डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स की नीति में स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्षों या संयोजकों को सरकारी आवास देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि नीति में बंगले के प्रकार को लेकर अस्पष्टता रही। केजरीवाल की ओर से दलील दी गई कि टाइप-VII बंगला उनके पद और वरिष्ठता के अनुसार उचित है।
बता दें कि, अरविंद केजरीवाल को टाइप-VII बंगला मिलने की घटना न केवल राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के अधिकार और सरकारी नीति के अनुपालन का उदाहरण भी है। हाईकोर्ट की सख्ती और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद यह आवंटन हुआ, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सरकारी नीतियों का सही तरीके से पालन आवश्यक है।
