बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक माहौल दिन-ब-दिन और गर्माता जा रहा है। राज्य में सत्ता की कुर्सी पाने के लिए सभी दल मैदान में पूरी ताकत के साथ उतर चुके हैं। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है, और इससे पहले सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है। इस बीच, मोकामा मर्डर केस में जेडीयू नेता अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने चुनावी बहस को और तीखा बना दिया है।
तेजस्वी यादव का बड़ा बयान: “होना ही था”
अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा,
“जिस तरह से यह घटना हुई, ऐसा होना ही था। आज प्रधानमंत्री बिहार आ रहे हैं और रोहतास में बाप-बेटे की हत्या हो गई है। यहां ‘महा जंगल राज’ है, लेकिन प्रधानमंत्री को यह नहीं दिखता। हम 14 नवंबर को सरकार बनाएंगे और 18 नवंबर को शपथ लेंगे। इसके बाद 26 नवंबर से 26 जनवरी के बीच, जाति या धर्म की परवाह किए बिना, हर अपराधी को जेल भेजा जाएगा।”
तेजस्वी का यह बयान न केवल महागठबंधन के आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि राजद और कांग्रेस इस चुनाव में “कानून व्यवस्था” को प्रमुख मुद्दा बनाना चाहती हैं।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा करेंगे। वे एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभाएं करेंगे और जनता से “विकास और स्थिरता” के नाम पर वोट देने की अपील करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी की रैली में बड़ी संख्या में भीड़ जुटने की उम्मीद है। उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री संजय झा और कई एनडीए नेता मौजूद रहेंगे।
एनडीए की रणनीति इस बार भी “डबल इंजन सरकार” के मॉडल पर टिकी है, जिसमें विकास, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा को प्रमुख मुद्दे के रूप में पेश किया जा रहा है।
मोकामा केस: चुनावी मैदान में नया मोड़
मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या का मामला बिहार की राजनीति में लंबे समय से चर्चा में है। जांच एजेंसियों ने इस केस में कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए हैं, जिनके आधार पर अनंत सिंह को गिरफ्तार किया गया।
हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि गिरफ्तारी “राजनीतिक दबाव” में की गई है। कई सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि “अनंत सिंह को समाजवादी पार्टी से न्याय का भरोसा मिला है” — यह भी इंगित करता है कि बिहार की सीमाओं से बाहर भी यह मामला राजनीतिक रूप से असर डाल सकता है।
बिहार की सियासत में ‘अनंत सिंह फैक्टर’
बिहार की राजनीति में अनंत सिंह का नाम हमेशा से विवादों में रहा है। “छोटे सरकार” के नाम से मशहूर अनंत सिंह का प्रभाव मोकामा और आस-पास के इलाकों में काफी गहरा है।
वे पहले जेडीयू से जुड़े थे, बाद में आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े, और फिर दोबारा स्वतंत्र रुख अपनाया।
इस बार उनकी गिरफ्तारी से मोकामा विधानसभा क्षेत्र में समीकरण बदल सकते हैं। स्थानीय स्तर पर यह माना जा रहा है कि अगर अनंत सिंह चुनावी मैदान में नहीं उतरते, तो उनके समर्थकों का वोट दूसरी पार्टियों में बंट सकता है।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने न केवल मोकामा बल्कि पूरे बिहार में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। जहां एनडीए इसे “कानून का राज” बता रहा है, वहीं महागठबंधन इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” का नाम दे रहा है। इस बीच पीएम मोदी की रैली और तेजस्वी यादव के तीखे बयान ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है।
