बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज़ होती जा रही हैं। सियासी गलियारों में सीट बंटवारे की चर्चा जोरों पर है, लेकिन इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने महागठबंधन के भीतर हलचल मचा दी है। सीट शेयरिंग को लेकर अब तक किसी ठोस फैसले का इंतजार था, परंतु सीपीआई ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर राजनीतिक समीकरणों को झटका दे दिया है। इस कदम से न केवल गठबंधन के भीतर असंतोष के स्वर तेज हो सकते हैं, बल्कि यह भी साफ दिख रहा है कि सीपीआई अब अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।
वही, यदि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है और सीपीआई की यह प्रेशर पोलिटिकल का हिस्सा हो सकता है। 2020 में वामपंथी दलों में सबसे अच्छा प्रदर्शन सीपीआई- एमएल का था, जिसे 19 सीटों में 12 पर जीत मिली थी। वहीं अब तक इंडिया गठबंधन से अब तक सीट शेयरिंग की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इसके बावजूद सीपीआई से अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी।
पहली सूची से बढ़ी हलचल
सीपीआई ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पहली सूची जारी की, जिसमें 6 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि तेघड़ा से रामरतन सिंह, बखरी (सु.) से सूर्यकान्त पासवान, बछवाड़ा से अवधेश कुमार राय, बांका से संजय कुमार, हरलाखी से राकेश कुमार पांडे और झंझारपुर से राम नारायण यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया है।
महागठबंधन के भीतर ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’?
राजनीतिक विश्लेषक सीपीआई के इस कदम को ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ के तौर पर देख रहे हैं। महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग पर चल रही बातचीत अभी अंतिम चरण में नहीं पहुंची है, ऐसे में सीपीआई द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी करना बाकी दलों पर दबाव बनाने की रणनीति मानी जा रही है।
बता दें कि, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को अब एकजुटता के साथ जनता के सामने उतरने की जरूरत है। सीपीआई द्वारा पहली लिस्ट जारी करने से यह साफ हो गया है कि समय रहते फैसला न होने पर हर दल अपने दम पर आगे बढ़ सकता है। यह न केवल गठबंधन की आंतरिक समरसता की परीक्षा है, बल्कि बिहार की सियासत में एक नए समीकरण की शुरुआत भी हो सकती है।
