बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में एनडीए (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। जदयू (जनता दल यूनाइटेड) ने इस बार भी ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाने का साफ संकेत दिया है। पार्टी चाहती है कि वह भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े। वहीं, चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) को लेकर जदयू का रुख बेहद सख्त है।
मुख्यमंत्री ने इशारे में कहा कि यह आपका (भाजपा) विषय है।बातचीत के समय उपस्थित संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया।
लेकिन, दावे के साथ कहा कि एनडीए के घटक दलों में सीटों की संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं है। समय आने पर सब ठीक हो जाएगा। लेकिन, स्थितियां चौधरी के दावे के अनुरूप नहीं हैं। जदयू की मांग बहुत स्पष्ट है कि उसे पिछले चुनाव की तरह 122 सीटें चाहिए। भाजपा अपने कोटे की 121 में से चाहे जितनी सीटें चिराग को दे दे। उसे आपत्ति नहीं है।
चिराग पासवान पर भाजपा की जिम्मेदारी
जदयू का स्टैंड एकदम साफ है—लोजपा (रा) भाजपा की जिम्मेदारी है। अगर भाजपा चाहे तो अपने हिस्से की सीटों में से चिराग को हिस्सेदारी दे सकती है। लेकिन जदयू अपने कोटे की सीटों में कोई कटौती नहीं करेगा।
इसके साथ ही जदयू का यह भी कहना है कि भाजपा को गठबंधन के हित में चिराग पासवान को बयानबाजी से रोकना चाहिए। पार्टी का मानना है कि चिराग की अनियंत्रित गतिविधियां गठबंधन के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।
गठबंधन की मजबूती पर सवाल
हालांकि, एनडीए के नेता लगातार यह दावा करते आ रहे हैं कि गठबंधन पूरी तरह एकजुट है। लेकिन सीट बंटवारे को लेकर खींचतान और चिराग पासवान का मुद्दा यह दर्शा रहा है कि अंदर ही अंदर मतभेद गहरे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह खींचतान लंबी खिंचती है तो इसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। बिहार की राजनीति में गठबंधन का गणित हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है।
बता दें कि, बिहार चुनाव 2025 के लिए सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर असमंजस साफ झलकने लगा है। जदयू ने साफ कर दिया है कि वह भाजपा से बड़ी पार्टी की भूमिका चाहेगा और अपने हिस्से से कोई कटौती नहीं करेगा। चिराग पासवान का मुद्दा पूरी तरह भाजपा की जिम्मेदारी है।