पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने इस बार ऐसा राजनीतिक परिदृश्य गढ़ दिया, जिसकी कल्पना बहुत कम राजनीतिक विश्लेषकों ने की होगी। पूरे चुनावी सफर में जो उत्साह, प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक दांव-पेंच देखने को मिले, उसके परिणाम ने राज्य की राजनीति की नई कहानी लिख दी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस बार न केवल सत्ता की वापसी की, बल्कि अभूतपूर्व बहुमत के साथ जीत का नया कीर्तिमान भी स्थापित किया।
पहली बार एनडीए में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लड़ी लोजपा (RV) ने 19 सीटें जीतीं, जबकि जीतनराम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम ने क्रमशः 5 और … महागठबंधन के लिए यह चुनाव बड़ा झटका लेकर आया. गठबंधन कुल मिलाकर 35 सीटों पर सिमट गया, जो पिछली बार की तुलना में 79 सीटों की भारी गिरावट है।
NDA की ऐतिहासिक जीत: जनता का स्पष्ट जनादेश
इस चुनाव में एनडीए ने जिस तरह से सभी क्षेत्रों में अपनी पकड़ को मजबूत किया, उसने एक तरफ संगठन की मजबूती दिखाई तो दूसरी तरफ केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभाव भी साबित किया। मतदाताओं ने विकास, स्थिरता, कल्याणकारी योजनाओं और स्थानीय नेतृत्व पर विश्वास जताते हुए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया। एनडीए द्वारा प्राप्त 202 सीटें पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त को दर्शाती हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया है कि राज्य की जनता किस दिशा में बदलाव चाहती है।
NDA का 200 पार पहुंचना जनता का भारी समर्थन प्रदर्शित करता है, वहीं महागठबंधन का 35 सीटों तक सिमटना यह संदेश देता है कि केवल आलोचना और पारंपरिक राजनीति अब पर्याप्त नहीं है। बिहार की जनता ने इस बार स्थिरता, विकास और नेतृत्व को चुनते हुए राजनीतिक समीकरणों को एक नई दिशा दे दी
