पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन प्रक्रिया के पूरा होने के साथ ही चुनाव प्रचार पूरी तरह गति पकड़ चुका है। राज्य में राजद, कांग्रेस, BJP-JDU, LJP(R), HAM और RLM सहित कई छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इस बार चुनाव प्रचार में न सिर्फ पार्टियों की रणनीतियों बल्कि गठबंधन के भीतर चल रही खींचतान भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
पप्पू यादव का बयान: गठबंधन में असहमति
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने महागठबंधन के भीतर चल रही सीटों को लेकर असहमति जताई है। उन्होंने कहा,
“मैं पहले ही कह रहा था कि मैत्रीपूर्ण लड़ाई का कोई औचित्य नहीं है। इसका संदेश गलत जा रहा है। जो सीट कांग्रेस की है उस पर राजद कैसे चुनाव लड़ सकता है? यह पूरी तरह से गलत है।”
पप्पू यादव ने आगे कहा कि उनकी राय में इस लड़ाई का स्वरूप प्रधानमंत्री मोदी बनाम राहुल गांधी का होना चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि अगर ऐसा होता है तो INDIA गठबंधन को फायदा मिलेगा। उनका मानना है कि हर परिस्थिति में राहुल गांधी के चेहरे पर चुनाव लड़ने से गठबंधन को मजबूत संदेश जाएगा।
चुनावी माहौल और रणनीति
बिहार में चुनाव प्रचार तेज़ी से चल रहा है। पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने-अपने दांव-पेच आजमा रही हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, रोड शो, रैली और स्थानीय बैठकों के माध्यम से जनता तक संदेश पहुँचाया जा रहा है।
- BJP और JDU का फोकस विकास और सरकार की उपलब्धियों पर है।
- राजद और कांग्रेस का जोर महागठबंधन के स्वरूप और मोदी विरोधी एजेंडे पर है।
- LJP(R), HAM और RLM अपनी क्षेत्रीय ताकत और स्थानीय मुद्दों को मुख्य रणनीति बना रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस चुनाव में गठबंधन की मजबूती और उम्मीदवारों का चेहरा निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब राजनीतिक माहौल पूरी तरह गर्म है। पप्पू यादव का बयान महागठबंधन के अंदरूनी विवादों को उजागर करता है और यह दिखाता है कि गठबंधन के लिए संतुलन बनाना कितना चुनौतीपूर्ण है।
बता दें कि, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पार्टियों को मतदाता और गठबंधन दोनों के दृष्टिकोण को संतुलित करने की आवश्यकता होगी। यह चुनाव न केवल सीटों की लड़ाई है, बल्कि राजनीतिक रणनीति और गठबंधन की मजबूती की भी परीक्षा लेने वाला है।