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पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड 64.69% मतदान के साथ लोकतंत्र का एक नया इतिहास रच दिया गया है। यह राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक वोटिंग प्रतिशत है। चुनाव आयोग ने इसे लोकतंत्र की “जीत” बताया है, जबकि राजनीतिक हलकों में अब इस पर गहन मंथन शुरू हो गया है कि इतनी बड़ी वोटिंग का असर किस पर पड़ेगा — नीतीश कुमार की एनडीए सरकार मजबूत होगी या सत्ता परिवर्तन की बयार चलेगी।

1998 के लोकसभा चुनावों में 64.6% टर्नआउट रिकॉर्ड था, लेकिन विधानसभा में 2000 के 62.57% को अब 2025 ने पीछे छोड़ दिया। इन उदाहरणों से देखें, जहां 5% से ज्यादा बदलाव ने इतिहास रचा।2020 के पहले चरण में जहां सिर्फ 55.68% मतदान हुआ था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 64.69% तक पहुंच गया। यानी लगभग 9% की बढ़ोतरी, जो चुनावी रुझानों में बड़ा फर्क ला सकती है।

चुनाव आयोग ने कहा – ‘लोकतंत्र जीता है बिहार में’

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “बिहार ने पूरे राष्ट्र को रास्ता दिखाया है। यह राज्य के चुनाव इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। 1951 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जनता ने मतदान में भाग लिया है। यह डेमोक्रेसी की असली जीत है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस बार वोटर रोल्स को सबसे शुद्ध और पारदर्शी बनाया गया है। “स्पेशल समरी रिवीजन (SIR)” में जीरो अपील्स के साथ वोटर लिस्ट तैयार की गई थी। इसके बावजूद चुनाव दिनभर शांतिपूर्ण रहा और कहीं बड़े स्तर पर हिंसा नहीं हुई।

बता दें कि, बिहार का पहला चरण न सिर्फ वोटिंग का रिकॉर्ड तोड़ने वाला रहा, बल्कि उसने पूरे देश को एक संकेत भी दिया — जब जनता जागरूक होती है, लोकतंत्र मजबूत होता है।अब सवाल यह है कि यह उत्साही भागीदारी नीतीश कुमार की एनडीए सरकार के लिए मजबूती का संदेश है या सत्ता परिवर्तन की दस्तक।

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