पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के बीच राज्य ने पहली बार इतिहास रच दिया है। पहले चरण में 64.66% का रिकॉर्ड मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया, जो राज्य के 73 वर्षों के चुनावी इतिहास में सर्वाधिक है। यह आंकड़ा 2020 के 57% से करीब 8% अधिक है। चुनाव आयोग के मतदाता जागरूकता अभियान से लेकर जीविका दीदियों की भूमिका, युवाओं की मुखरता, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान तक कई कारकों ने मिलकर इस उत्साह को जन्म दिया। आज दूसरे चरण में भी 60% से अधिक मतदान होने की उम्मीद है, जो लोकतंत्र की मजबूती का संकेत दे रहा है।
चुनाव आयोग ने ‘वोट जरूर डालें’ थीम पर देशव्यापी अभियान चलाया, जिसमें सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो और ग्रामीण स्तर पर रैलियों के माध्यम से लाखों मतदाताओं को जागरूक किया गया। आयोग ने बिहार के लिए 17 नई पहलें शुरू कीं, जैसे मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति (बाहरी क्षेत्र तक) और राजनीतिक दलों को केंद्र से 100 मीटर दूर एजेंट बूथ स्थापित करने की छूट। इसके अलावा, विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान के तहत फर्जी, निष्क्रिय और मृत मतदाताओं के नाम हटाए गए। पहले चरण में 65 लाख नाम काटे गए, जबकि 21.5 लाख नए जोड़े गए, जिससे कुल 7.42 करोड़ सक्रिय मतदाता बचे। इससे वोटर लिस्ट साफ हुई और वास्तविक मतदान प्रतिशत बढ़ा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “SIR अभियान में कोई अपील नहीं आई, जो इसकी सफलता दर्शाता है।”
राजनीतिक दलों के लोक-लुभावन वादों ने भी मतदाताओं को आकर्षित किया। एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) ने रोजगार सृजन, मुफ्त बिजली-पानी और किसान कल्याण पर जोर दिया, जबकि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) ने हर घर में सरकारी नौकरी का वादा किया। रोजगार और पलायन के मुद्दे पर युवा मतदाता खासे मुखर दिखे। लाखों बिहारी युवा रोजगार के अभाव में अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं, जिसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया। प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी पलायन रोकने पर फोकस किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ता मतदान एंटी-इनकंबेंसी का संकेत हो सकता है, जैसा कि 1967, 1980, 1990 और 2005 में देखा गया।
महिला मतदाताओं की भागीदारी में भी उछाल आया। पहले चरण में महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा, जिसका श्रेय 90,000 जीविका दीदियों को जाता है। ये दीदियां ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, खासकर छठ पूजा के बाद। आयोग के प्रयासों से मतदान केंद्रों पर सुविधाएं बढ़ीं – शेड, पानी, रैम्प और व्हीलचेयर की व्यवस्था। बुजुर्गों के लिए घर बैठे वोटिंग की सुविधा ने भी योगदान दिया; कई बुजुर्गों ने डोरस्टेप वोटिंग का लाभ उठाया। डीजीपी विनय कुमार ने कहा, “सक्रिय पुलिसिंग, समुदाय से जुड़ाव और आयोग की पहलों से यह ऐतिहासिक मतदान संभव हुआ।”
दूसरे चरण के मतदान के दौरान पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने दावा किया कि 69 लाख मतदाताओं को लिस्ट से बाहर किया गया, लेकिन आयोग ने इसे खारिज कर दिया। कुल 243 सीटों पर 1,302 उम्मीदवार मैदान में हैं, और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। यह चुनाव न केवल सत्ता परिवर्तन का संकेत दे रहा है, बल्कि बिहार के लोकतंत्र को नई ऊर्जा भी प्रदान कर रहा है।
