समाचार मिर्ची

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बिहार में छठ महापर्व के बीच राजनीतिक पारा तेजी से चढ़ गया है। चुनावी बिगुल बज चुका है और सत्ताधारी एनडीए (NDA) व विपक्षी महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-लेफ्ट) दोनों ही अपने-अपने एजेंडे और वादों के साथ मैदान में हैं। एक ओर विपक्ष जनता को रोजगार, अपराध और पलायन के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ लामबंद कर रहा है, तो वहीं सत्तापक्ष लालू यादव के जंगलराज की याद दिलाकर जनता को चेताने की कोशिश में है। इस बीच, राजद (RJD) द्वारा किए गए नए चुनावी वादों पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तीखा हमला बोला है।

राजद के चुनावी वादे पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का हमला, कहा- वो एक हफ्ते तक जुमलेबाजी करेंगे
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने राजद ने तेजस्वी यादव के बयान पर कहा, “ये लोग जुमलेबाज हैं, अब कांग्रेस, राजद और इनका जो INDI गठबंधन है, वो एक हफ्ते तक जुमलेबाजी करेंगे, क्योंकि इनके पास अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है।

राजद की ‘वादों की झड़ी’ पर बीजेपी का तंज

बिहार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा,

“ये लोग जुमलेबाज हैं। अब कांग्रेस, राजद और उनका जो INDIA गठबंधन है, वो एक हफ्ते तक जुमलेबाजी करेंगे, क्योंकि इनके पास अब कोई असली मुद्दा नहीं बचा है। जनता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के झूठे वादों में नहीं आने वाली है। बिहार की जनता ने तय कर लिया है कि NDA की सरकार दो-तिहाई बहुमत से बनेगी।”

उनके इस बयान ने बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ दी है। जायसवाल ने कहा कि राजद के नेता सिर्फ घोषणाओं की राजनीति कर रहे हैं, जबकि जनता अब काम के आधार पर वोट करेगी।

छठ पर्व में भी थम नहीं रहा प्रचार अभियान

बिहार में छठ महापर्व का माहौल है, लेकिन चुनावी सरगर्मी ने त्योहार की शांति को भी सियासी रंग में रंग दिया है।
हर जिले, हर गली-मोहल्ले में पोस्टर-बैनर और रोड शो चल रहे हैं।
राजनीतिक दल इस अवसर को भावनात्मक जुड़ाव का जरिया बनाकर मतदाताओं से संपर्क साध रहे हैं।

जहां राजद नेता तेजस्वी यादव अपने प्रचार अभियानों में बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दे उठा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता विकास, सड़कों, बिजली और शिक्षा के मुद्दों पर जनता को अपने काम गिना रहे हैं।

‘जंगलराज बनाम सुशासन’ – फिर वही पुराना मुद्दा

चुनाव प्रचार के दौरान एक बार फिर बिहार की राजनीति ‘जंगलराज बनाम सुशासन’ की बहस में उतर आई है।
एनडीए लगातार लालू-राबड़ी शासनकाल (1990–2005) का उदाहरण देकर मतदाताओं को याद दिला रहा है कि उस दौर में कानून-व्यवस्था चरमराई थी, जबकि वर्तमान सरकार ने सड़क, शिक्षा और कानून के क्षेत्र में सुधार किया है।

दूसरी ओर, महागठबंधन का कहना है कि एनडीए सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई और पलायन के मुद्दों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

बता दें कि, बिहार का चुनावी रण इस बार भी जोश और जुबानी जंग से भरा है। बीजेपी जहां विपक्ष पर जुमलेबाजी का आरोप लगा रही है, वहीं राजद और कांग्रेस इसे जनता की आवाज बता रहे हैं। छठ के उत्सव के बीच बिहार में अब हर चर्चा का केंद्र राजनीति और चुनाव बन चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता जुमलों पर भरोसा करती है या विकास के रिकॉर्ड पर। फिलहाल इतना तय है कि बिहार का यह चुनावी संग्राम और भी गरमाने वाला है।

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