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बिहार में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को गति देने में जुट गए हैं। इस बार उनका सबसे बड़ा जोर उन विभागों पर है, जहाँ वर्षों से रिक्त पदों के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा था। नई पारी की शुरुआत के साथ ही सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब किसी भी विभाग में खाली पड़े पदों को लेकर लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी। इसी कड़ी में भवन निर्माण विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी भवन अंचलों से लिपिक, तृतीय वर्गीय कर्मचारियों और अन्य पदों की रिक्तियों का विस्तृत ब्योरा मांगा है।

विभाग ने पत्र में कहा है जिन अंचलों ने पूर्व के आदेश के आलोक में सरकार को वांछित जानकारी नहीं दी वे स्पष्टीकरण के साथ 15 दिनों के अंदर विभाग को संबंधित ब्योरा मुहैया कराएं, ताकि नियुक्ति की प्रक्रिया की दिशा में अग्रतर कार्यवाही की जा सके।

15 दिनों में मांगी गई पूरी रिपोर्ट, नहीं देने पर होगी कार्रवाई

भवन निर्माण विभाग ने अपने नवीनतम आदेश में स्पष्ट कहा है कि सभी भवन अंचल और उनके अधीनस्थ प्रमंडल तुरंत प्रभाव से कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से की जाने वाली नियुक्तियों से संबंधित सभी सूचनाएँ उपलब्ध कराएँ। इसमें विशेष रूप से निम्नवर्गीय लिपिक (Lower Division Clerk), तृतीय वर्गीय कर्मचारी, कार्यालय सहायक एवं अन्य प्रशासनिक पद शामिल हैं। विभाग ने निर्धारित समयसीमा तय करते हुए कहा है कि अगले 15 दिनों के भीतर यदि जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तय मानी जाएगी।

नीतीश कुमार लगातार इस बात पर जोर देते आए हैं कि बिहार में युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाएँ। नई सरकार के गठन के बाद उन्होंने विभिन्न विभागों के साथ समीक्षा बैठकें कीं, जहाँ सबसे बड़ी समस्या के रूप में रिक्त पदों की संख्या सामने आई। शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व और भवन निर्माण जैसे कई विभागों में लंबे समय से पद खाली हैं।

बता दें कि, भवन निर्माण विभाग राज्य की बुनियादी संरचनाओं—सरकारी भवनों, आवास, अधोसंरचना—के निर्माण और रखरखाव का महत्वपूर्ण कार्य करता है। इस विभाग में पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध हो जाए, तो न केवल परियोजनाओं की रफ्तार बढ़ेगी बल्कि समय पर कार्य पूर्ण होने से विकास योजनाओं को भी गति मिलेगी।

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