कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर मतदाता सूची को लेकर विवाद तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कर्नाटक में मतदाता सूचियों में बड़ी गड़बड़ियां हैं, जिनके पीछे सत्ता पक्ष की राजनीतिक मंशा छुपी हुई है। भाजपा ने बिहार की तर्ज पर यहां भी मतदाता सूची में संशोधन और सत्यापन की मांग उठाई है।
बता दे कि, भाजपा के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने आरोप लगाया है कि बेंगलुर उन्होंने आरोप लगाया कि तुंगभद्रा बांध के गेटों की मरम्मत का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। कर्नाटक का पानी आंध्र प्रदेश जा रहा है और इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के सभी मंत्री दिल्ली की यात्रा में व्यस्त हैं। सिद्दरमैया के घर नाश्ता, डीके शिवकुमार के घर रात का खाना। यही सब हो रहा है।
किसान मुद्दों पर भी सरकार के खिलाफ भाजपा आक्रामक
केवल मतदाता सूची ही नहीं, भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का भी आरोप लगाया है। अशोक ने कहा कि सत्ता में आए दो साल और छह महीनों में कांग्रेस सरकार की खराब नीतियों ने किसानों का जीवन कठिन बना दिया है।
वोटर सूची विवाद—कर्नाटक की राजनीति का नया मोर्चा
विशेषज्ञों के अनुसार,
- राज्य में आने वाले दिनों में नगरीय और स्थानीय चुनाव होने हैं
- उसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी
ऐसे में मतदाता सूची सुधार को लेकर उठी यह मांग राज्य की राजनीति को नया और तीखा मोड़ दे सकती है। भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाकर मैदान में उतर चुकी है, जबकि कांग्रेस इससे इनकार करती आई है कि किसी भी तरह की अवैध प्रवासी आधारित वोट राजनीति उसकी रणनीति का हिस्सा है। कर्नाटक में भाजपा की यह मुहिम न केवल मतदाता सूची की पारदर्शिता की बहस को हवा देती है, बल्कि राज्य में किसानों की दुश्वारियों को लेकर राजनीतिक संघर्ष को भी तेज करती है। आने वाले कुछ हफ्तों में
- प्रदर्शन
- राजनीतिक बयानबाज़ी
- और वोट राजनीति
की गर्मी और बढ़ने की संभावना है।
कर्नाटक में प्रशासनिक नीतियों और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच—
जनता और किसान दोनों समाधान की प्रतीक्षा में हैं।
