दिल्ली दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार सुबह एक बड़ा एक्शन लेते हुए अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े परिसरों पर व्यापक स्तर पर छापेमारी की। यह कार्रवाई सिर्फ हरियाणा और दिल्ली तक सीमित नहीं रही, बल्कि जानकारी के अनुसार एजेंसी ने 4 राज्यों में लगभग 30 ठिकानों पर रेड डाली है। यह रेड दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़े हवाला लेन-देन, संदिग्ध फंडिंग और आतंकियों के नेटवर्क से जुड़े आर्थिक पहलुओं की जांच के चलते की जा रही है।
पुलिस की जांच में सामने आया कि इस घटना से जुड़े लोग डॉक्टर थे। जांच में सामने आया कि विस्फोट में शामिल आतंकी उमर भी डॉक्टर था और अल फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था। हालांकि यूनिवर्सिटी ने इन आरोपों से इनकार किया है। इसके अलावा अल फलाह की ओर से कहा गया कि उसके कैंपस का इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधियों में नहीं हुआ है।
डॉ. उमर नबी: डॉक्टर से आतंकी बनने की कहानी
जांच में चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई कि इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता उमर नबी न केवल पेशे से डॉक्टर था, बल्कि वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर भी कार्यरत था। उसकी गतिविधियों और विश्वविद्यालय परिसर से उसके जुड़ाव को लेकर कई सवाल उठे, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को विश्वविद्यालय के वित्तीय लेन-देन की गहन जांच की ओर अग्रसर किया।
जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर नबी आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था और पिछले कुछ महीनों से उसके संपर्क में कई ऐसे लोग आए थे जो कट्टरपंथ और आतंकी विचारधारा से प्रभावित थे। वह मेडिकल प्रोफेशन की आड़ में अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहा था।
ब्लास्ट केस में आगे क्या?
जांच एजेंसियां कई मोर्चों पर तेजी से काम कर रही हैं—
- एनआईए आतंकी मॉड्यूल की संरचना और नेटवर्क पर
- दिल्ली पुलिस स्थानीय सहायता और लॉजिस्टिक सपोर्ट पर
- ईडी फंडिंग और मनी ट्रेल पर
बता दें कि, दिल्ली ब्लास्ट केस सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि यह एक बड़ा सुरक्षा खतरा था, जिसने राजधानी में रहने वाले आम लोगों को झकझोर कर रख दिया। अब ईडी की ताजा छापेमारी से जांच और गहरी हुई है। आने वाले दिनों में इस मामले में कई और खुलासे होने की उम्मीद है। एजेंसियां इस बात पर जोर दे रही हैं कि किसी भी स्तर पर समर्थन या फंडिंग देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
