ढाका – बांग्लादेश की राजधानी ढाका इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की भव्य रैली का ऐतिहासिक केंद्र बन गई। देश के सबसे बड़े हिंदू मंदिर ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर में जब हजारों श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उत्सव में शामिल हुए, तो मंच से बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमां का संदेश गूंजा। उन्होंने घोषणा की कि अब से जन्माष्टमी की यह रैली हर साल बड़े पैमाने पर आयोजित की जाएगी और इसमें पूरे देश से श्रद्धालु शामिल होंगे।
बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमां ने कहा है कि बांग्लादेश सभी धर्मों और समुदायों के लोगों का देश है। बांग्लादेश में रहने वाले सभी नागरिक बराबर हैं, भले ही वह किसी भी धर्म या क्षेत्र के हों। ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी रैली के उद्घाटन के अवसर पर जुटे हिंदू श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कही हैं। उन्होंने जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए सभी से खुशी-खुशी त्योहार मनाने की अपील की।
जनरल जमां का ढाकेश्वरी मंदिर से देश के सेक्युलर ढांचे की तरफ ध्यान दिलाना मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए संदेश की तरह है। बीते साल अगस्त में यूनुस के अंतरिम सरकार की कमान संभालने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और मंदिरों को निशाना बनाया गया है। ऐसे में आर्मी चीफ ने अपने भाषण में कट्टरपंथी तत्वों को कड़ा संदेश दिया है।
जनरल जमां ने मंच से साफ कहा – “बांग्लादेश सभी धर्मों और समुदायों का देश है। यहां रहने वाले हर नागरिक समान हैं, चाहे वह किसी भी धर्म या क्षेत्र से आते हों। हिंदू हों, मुस्लिम हों, बौद्ध हों या ईसाई – सभी को अपने-अपने त्योहार पूरे अधिकार और स्वतंत्रता के साथ मनाने का हक है।”
ढाकेश्वरी मंदिर से उठा ‘समानता’ का संदेश
बता दें कि, ढाका का ढाकेश्वरी मंदिर बांग्लादेश के सबसे बड़े और प्राचीनतम हिंदू मंदिरों में से एक है। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। लेकिन इस बार की खासियत यह रही कि पहली बार देश के सेना प्रमुख ने मंदिर पहुंचकर न केवल कार्यक्रम का उद्घाटन किया, बल्कि अपने भाषण से हिंदू समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर ठोस आश्वासन भी दिया।
जानकारी देते चले कि, बांग्लादेश में जन्माष्टमी को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। यह दिन केवल हिंदू समुदाय ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा माना जाता है। ढाका, चट्टग्राम, खुलना और अन्य प्रमुख शहरों में हजारों श्रद्धालु शोभा यात्राएं निकालते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल घोषणा से ही स्थिति नहीं बदलेगी। बांग्लादेश सरकार और सेना को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में किसी भी समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश न हो। अल्पसंख्यक हिंदुओं को समान अवसर, सुरक्षा और सम्मान तभी मिलेगा जब कानून का सख्ती से पालन होगा और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।