नई दिल्ली। नई दिल्ली। देश की सियासत में इन दिनों विपक्षी नेताओं और दलों की सक्रियता अलग ही नजर आ रही है। भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (INDIA) यानी इंडी गठबंधन के शीर्ष नेता आने वाली सात अगस्त को कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आवास पर एक महत्वपूर्ण डिनर बैठक करने जा रहे हैं। वहीं अब इस बैठक को लेकर सियासत के मैदान में इसे डिनर डिप्लोमेसी का नाम दिया जा रहा है। क्योंकि यह केवल भोजन के मौके पर मेल जोल की रस्म नहीं रहने वाली है बल्कि विपक्ष के नेता मौजूदा राजनीत पर विचार विमर्श कर भविष्य की राजनीति तय करेंगे।
मानसून सत्र और SIR का मुद्दा
संसद के मानसून सत्र के दौरान बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी दलों का आक्रामक रुख देखने को मिल रहा है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और इसका उद्देश्य बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी गठबंधन को फायदा पहुंचाना है। विपक्षी नेता, खासकर राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, ने संसद भवन के मकर द्वार पर ‘क्विट SIR’ और ‘डेथ ऑफ डेमोक्रेसी’ जैसे नारों के साथ प्रदर्शन कर अपनी मांग को बुलंद किया है। इस पूरे मामले पर विपक्ष का साफ कहना है कि जब तक SIR पर संसद में विस्तृत चर्चा नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव और संयुक्त उम्मीदवार की संभावना
समाचार मिर्ची के सूत्रों के मुताबिक, 7 अगस्त को जो विपक्ष की बैठक होने जा रही है उसमें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर भी विचार हो सकता है। विपक्षी गठबंधन यह संदेश देना चाहता है कि वह एकजुट है और सत्ताधारी एनडीए को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार है। यह रणनीति न केवल संसदीय गतिविधियों में विपक्ष की एकजुटता को मजबूत करेगी, बल्कि आगामी चुनावों में गठबंधन की स्थिति को भी सुदृढ़ कर सकती है।
महाराष्ट्र की मतदाता सूची, ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप टैरिफ पर भी होगी चर्चा
बैठक में SIR के अलावा कई अन्य ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। महाराष्ट्र में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों ने विपक्ष को एक नया हथियार दिया है। राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 70-80 सीटों पर हेराफेरी हुई, जिसे लेकर विपक्ष चुनाव आयोग से जवाब मांग रहा है। इसके साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर, जिस पर संसद में 16 घंटे की मैराथन चर्चा हो चुकी है, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी भी चर्चा के केंद्र में रहने की उम्मीद है। विपक्ष ने ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए हैं, जिसे वे विदेश नीति की कमजोरी के रूप में पेश कर रहे हैं।
विपक्षी एकता की चुनौती
यह बैठक INDI गठबंधन की दूसरी अहम बैठक होगी, जो संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद हो रही है। इससे पहले 19 जुलाई को हुई वर्चुअल बैठक में 24 दलों ने हिस्सा लिया था, जिसमें शरद पवार, तेजस्वी यादव, उमर अब्दुल्ला, हेमंत सोरेन और उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गज नेताओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया था। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) की अनुपस्थिति ने गठबंधन की एकता पर सवाल उठाए थे। ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव के हालिया बयानों ने भी गठबंधन के भविष्य को लेकर चर्चाओं को हवा दी है।
हालांकि बीजेपी भी विपक्ष उठापटक पर नजर बनाए हुए है और सरकार का पक्ष सुरक्षित करने की कवायद में भी जुट गई है। सत्ताधारी बीजेपी किसी भी किमत पर विपक्षी नेताओं को कोई चांस नहीं देना चाहती है जिससे की जनता के बीच कोई गलत संदेश सेट करने में विपक्ष कामयाब हो जाए।