नई दिल्ली। भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के केंद्र में मौजूद चुनाव आयोग और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच एक अहम संवाद होने जा रहा है। ‘वोट चोरी’ के आरोपों और मतदाता सूची में अनियमितताओं के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी को चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर बातचीत के लिए बुलाया है। यह बैठक सोमवार दोपहर 12 बजे नई दिल्ली में आयोजित होगी, जिसमें कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता और सांसद जयराम रमेश समेत सीमित संख्या में प्रतिनिधि शामिल होंगे।
पत्र में बुलावे की जानकारी
भारत के चुनाव आयोग के सचिवालय की ओर से जयराम रमेश को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि आयोग ने आपके अनुरोध पर विचार करने के बाद बातचीत के लिए समय देने का निर्णय लिया है। पत्र के अनुसार, यह समय कुछ अन्य राजनीतिक दलों द्वारा किए गए समान अनुरोधों के संदर्भ में दिया गया है। इसका अर्थ है कि यह मुद्दा केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य विपक्षी दल भी इसे लेकर सक्रिय हैं।
बता दें कि विपक्ष बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर लगातार सवाल उठा रहा है और चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगा रहा है। बिहार में SIR के विरोध में इंडी गठबंधन ने संसद से चुनाव आयोग के दफ्तर तक विरोध मार्च का ऐलान किया है।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर विवाद
वर्तमान विवाद की पृष्ठभूमि बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) से जुड़ी है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है — नए मतदाताओं को जोड़ा जाता है और मृतक या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के नाम पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की जा रही है, जिससे सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाया जा सके।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का दावा है कि बड़ी संख्या में वास्तविक मतदाताओं के नाम बिना किसी उचित कारण के सूची से हटाए जा रहे हैं। साथ ही, ऐसे लोगों के नाम जोड़े जा रहे हैं जिनका संबंधित निर्वाचन क्षेत्र से कोई सीधा संबंध नहीं है। इन आरोपों को विपक्ष ने ‘वोट चोरी’ करार दिया है।
चुनाव आयोग पर विपक्ष का आरोप
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि अगर मतदाता सूची में पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित नहीं की गई, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।
चुनाव आयोग की भूमिका और अपेक्षाएं
चुनाव आयोग भारतीय लोकतंत्र का वह स्तंभ है जिस पर चुनावों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता टिकी है। आयोग का कर्तव्य है कि वह सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करे और चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को तुरंत रोके।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवादों में चुनाव आयोग की ओर से समय पर संवाद और ठोस कदम उठाना जरूरी है, क्योंकि यह न केवल विपक्ष के भरोसे को बहाल करता है बल्कि आम जनता के मन में भी चुनावी प्रक्रिया के प्रति विश्वास बनाए रखता है।
मतदाता सूची चुनाव प्रक्रिया की आधारशिला है। अगर इसमें पारदर्शिता नहीं रहेगी, तो चुनाव के नतीजों पर जनता का भरोसा डगमगा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि SIR जैसी प्रक्रियाओं में आधुनिक तकनीक और पारदर्शी निगरानी तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को समय रहते रोका जा सके।
अब सबकी निगाहें सोमवार को होने वाली बैठक पर टिकी हैं। क्या चुनाव आयोग विपक्ष के आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने पर सहमत होगा? क्या आयोग SIR प्रक्रिया की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए कदम उठाएगा? इन सवालों के जवाब इस बैठक के बाद स्पष्ट हो सकते हैं। फिलहाल इतना तय है कि ‘वोट चोरी’ के आरोपों ने देश की राजनीति में चुनावी पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।