छिंदवाड़ा जिले का धरमपुर ग्राम जो कि सारोठ ग्राम पंचायत का ही हिस्सा है मगर सारोठ ग्राम से ठीक एक किलोमीटर पहले बसा है। देखने में ये गांव काफी छोटा लगेगा मगर यहां के बाशिंदों के ह्रदय की विशालता बातचीत करने पर पता चलती है। यहां के युवा हमेशा कुछ नया करने की होड़ में शामिल रहते हैं। इस जगह का महत्व उस समय और बढ़ गया था जब मुख्यमंत्री रहते हुए उमा भारती का हेलीकॉप्टर सीधे धरमपुर में उतरा था।
मोहखेड़। नमस्कार साथियों इस समय समाचार मिर्ची की टीम लगातार छिंदवाड़ा जिले के अलग-अलग हिस्सों में भ्रमण कर रही है। हमारी टीम जब मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम धरमपुर पहुंची तो देखने में थोड़ा छोटा लगा लेकिन सही मायने में कई ऐतिहासिक घटनाएं इस क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। ग्राम सारोठ पंचायत का ही ये हिस्सा है यहां क्या कुछ नहीं है। पेट्रोल पंप … अनाज के बड़े व्यापारी.. सीमेंट लोहा के बड़े व्यापारी… शादी के लिए विशाल स्वर्ण वाटिका जैसे गार्डन… तो अन्य दैनिक जरूरतों के थोक व्यापारी और दुकानें भी यहां मौजूद है।
12 अप्रैल को हरिनाम सप्ताह आरंभ
हमारी टीम जब जहां पहुंती तो प्रसिद्ध हनुमानजी के मंदिर के पास विशाल टेंट के साथ युवा तैयारियां करते नजर आ रहे थे। बातचीत में पता चला कि यहां 12 अप्रैल दिन शनिवार को हनुमान जी की जयंती पर विशाल हरिनाम सप्ताह का आयोजन हो रहा है जिसका समापन ठीक दूसरे दिन रविवार 13 अप्रैल को होगा। इस दौरान दही लाही और महा प्रसादी की वितरण भी किया जाएगा।

सप्ताह के दौरान अलग-अलग गांव की मंडली देगी प्रस्तुति
इस क्षेत्र में आयोजित होने वाले हरिनाम सप्ताह की खास बात ये है कि यहां अलग-अलग गांव को सुपारी दी जाती है। सुपारी यानी एक कागज होता है जिसके अंदर कार्यक्रम की पूरी जानकारी होती है और उसके अंदर चावल के दाने और सुपारी होती है जो बतौर आमंत्रण अलग-अलग गांवों की समितियों को दी जाती है। ये सुपारी मिलने के बाद ही कोई भजन-कीर्तन मंडल रात्रि अथवा दिन में सुविधानुसार अपनी प्रस्तुति देने के लिए टीम के साथ पहुंचते हैं।
उमा भारती के कदम पड़ते ही कैसे बदली कई दर्जन गांवों की किस्मत?
दरअसल दो दशक पहले इस क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत थी। स्थानीय लोगों को इधर उधऱ के बमुश्किल पीने के पानी का जुगाड़ हो पाता था। मगर किसी तरह प्रशासन का सारोठ में डैम बनने का प्रस्ताव आया। उस समय मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी थीं। भूमिपूजन के लिए इसी धरमपुर ग्राम को चुना गया। करीब साल 2004 का समय रहा होगा उनका हेलीकॉप्टर धरमपुर की धरती पर उतरता है और सारोठ जलाशय योजना की नींव रखी जाती है। उसी का परिणाम है कि आज सारोठ ग्राम के साथ साथ-साथ आसपास के गांवों की धरती भी आज सोना उगल रही है।

वॉटर फिल्टर प्लांट से मिल रहा शुद्ध जल
डैम बनकर तैयार हुआ तो वॉटर फिल्टर प्लांट की योजना भी बनी। जब योजना बनी तो उसके मुख्यालय के लिए भी इसी धरमपुर को ही चुना गया। हालांकि फिल्टर प्लांट सारोठ ग्राम के रहवासी क्षेत्र से लगे इलाके में ही बना है। इस फिल्टर प्लांट के बनकर तैयार होने के साथ ही आसपास के कई दर्जन गावों की किस्मत पलट गई। सारोठ जलाशय से तीस गांवों तक सामुहिक जलापूर्ति की जा रही है।