हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ सिवरंजनी संतोष की लंबी कानूनी लड़ाई रंग लाई है। लंबे समय से भ्रामक रूप से बेचने जा रहे शुगर युक्त पेयों के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई थी, जिन्हें ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) के रूप में मार्केट किया जा रहा था। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने आदेश जारी किया है कि कोई भी फूड ब्रांड अपने उत्पादों पर ‘ओआरएस’ या ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट्स’ शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकता जब तक कि उसका फॉर्मूलेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाए गए मानकों के अनुरूप न हो।
नियामक ने कहा कि इस तरह की लेबलिंग ‘गलत, भ्रामक, अस्पष्ट और त्रुटिपूर्ण नाम या लेबल विवरण के माध्यम से उपभोक्ताओं को भ्रमित करती है,’ और इसलिए अधिनियम की कई धाराओं का उल्लंघन करती है. एक बाल रोग विशेषज्ञ की लड़ाई यह नियामक हस्तक्षेप बाल रोग विशेषज्ञ सिवरंजनी संतोष द्वारा चलाए गए लगातार कानूनी अभियान का परिणाम है, जिन्होंने लगभग दस साल पहले ही भ्रामक मार्केटिंग पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था.
भ्रामक ओआरएस पेयों का मामला
पिछले कुछ वर्षों में बाजार में ऐसे कई पेय उपलब्ध थे, जिनमें अत्यधिक शुगर और फ्लेवर्ड इंग्रीडिएंट्स थे, लेकिन उन्हें ओआरएस के रूप में बेचा जा रहा था। वास्तविक ओआरएस का उद्देश्य डिहाइड्रेशन (पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी) को रोकना है, खासकर बच्चों और वयस्कों में दस्त या उल्टी के दौरान।
फलों या अन्य स्वाद वाले शुगर पेयों को ओआरएस के रूप में बेचना उपभोक्ताओं के लिए भ्रमित करने वाला था। लोग समझते थे कि यह पेय स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और चिकित्सीय प्रभाव वाला है, जबकि वास्तव में यह WHO द्वारा निर्धारित इलेक्ट्रोलाइट अनुपात के अनुरूप नहीं था।
FSSAI का नया आदेश
14 अक्टूबर 2025 को FSSAI ने स्पष्ट किया कि कोई भी फूड ब्रांड अपने उत्पाद पर ‘ओआरएस’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकता। आदेश में यह भी निर्देश दिया गया कि सभी पहले दी गई अनुमतियों को तुरंत वापस लिया जाए, जिनमें फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) को अपने ब्रांड नाम में ‘ओआरएस’ शब्द जोड़ने की अनुमति दी गई थी।
स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्रभाव
भ्रामक ORS पेयों की बिक्री से कई बार बच्चों और वयस्कों को गलत मात्रा में शुगर और इलेक्ट्रोलाइट्स मिलने का खतरा होता था। इसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन के इलाज में असफलता और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते थे। FSSAI का यह कदम सुनिश्चित करता है कि केवल वही उत्पाद ‘ओआरएस’ के रूप में मार्केट किए जाएँ, जो WHO के मानकों के अनुसार तैयार किए गए हों। इससे उपभोक्ताओं को सही और सुरक्षित पेय प्राप्त होंगे।
बता दजें कि, डॉ. सिवरंजनी संतोष की लंबी कानूनी और स्वास्थ्य जागरूकता की लड़ाई ने FSSAI को भ्रामक ORS पेयों पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रेरित किया। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि फूड इंडस्ट्री में मानक अनुपालन और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है।