भारत-पाक तनाव से पंजाब के टमाटर किसानों पर संकट, कश्मीर में सप्लाई ठप होने से मंडराया आर्थिक नुकसान
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगांव हमले के बाद देश के सीमावर्ती राज्यों में असुरक्षा का माहौल बन गया है। इस स्थिति का सीधा असर अब पंजाब के टमाटर किसानों पर भी देखने को मिल रहा है। विशेष रूप से फ़रीदकोट जिले के गांव घुग्याना के किसानों के बीच गहरी चिंता का माहौल है।यहाँ के किसान हर साल टमाटर की बंपर पैदावार कर उसे जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में भेजते हैं। लेकिन इस बार हालात बदले-बदले हैं। टमाटर की फसल खेतों में पूरी तरह पककर तैयार है, लेकिन उन्हें मंडियों में भेजने के लिए जम्मू-कश्मीर से कोई व्यापारी सामने नहीं आ रहा।
क्यों है जम्मू-कश्मीर से व्यापारियों की अनुपस्थिति?
सूत्रों के अनुसार, पहलगांव में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था और सख्त कर दी गई है। राज्य में आने-जाने वाले वाहनों की चेकिंग बढ़ा दी गई है और बाहरी व्यापारियों की आवाजाही पर भी रोक लगाई गई है। यही कारण है कि पंजाब के किसान, जो हर साल कश्मीर के लिए बड़ी मात्रा में टमाटर भेजते थे, अब हताश हैं।वही, किसानों ने बताया कि, टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली फसल को समय पर मंडियों में नहीं भेजा गया तो उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। फ़रीदकोट के किसान गुरदेव सिंह ने कहा, “हमने कई एकड़ में टमाटर की खेती की है। आमतौर पर इस समय तक व्यापारी हमारे खेत से माल उठाकर जम्मू-कश्मीर ले जाते थे। लेकिन अब एक भी गाड़ी नहीं आई। हमें डर है कि फसल खराब हो जाएगी।”
सप्लाई चैन बाधित, कीमतों में गिरावट का खतरा
बता दें कि, मंडी व्यापारियों का कहना है कि सप्लाई ठप होने से बाजार में टमाटर की अधिकता हो सकती है, जिससे दाम गिरने की आशंका है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में टमाटर की कमी के चलते कीमतें बढ़ सकती हैं। इस असंतुलन का नुकसान दोनों ओर के उपभोक्ताओं और किसानों को होगा।
पंजाब कृषि मंडी बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि यदि यही स्थिति बनी रही तो टमाटर किसानों को प्रति एकड़ ₹30,000 से ₹50,000 तक का नुकसान हो सकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह ऐसे संकट की घड़ी में किसानों को तुरंत राहत पैकेज दे और वैकल्पिक बाजार तलाशे।
फ़रीदकोट का घुग्याना बना प्रतीक
घुग्याना गांव में हर साल करीब 150 से ज्यादा किसान टमाटर की खेती करते हैं। यहां की जलवायु और मिट्टी टमाटर के लिए उपयुक्त मानी जाती है। किसान टमाटर की उच्च गुणवत्ता वाली किस्में उगाकर उन्हें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बाजारों में भेजते हैं।
किसान जसविंदर सिंह कहते हैं, “अगर स्थिति ऐसी ही रही तो हमें मजबूरन अपने टमाटर खुद ही नष्ट करने पड़ेंगे। उन्हें स्टोर करने के लिए पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है। सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए।”
सरकार से उम्मीदें और मांगें
किसानों ने सरकार से कुछ प्रमुख मांगें रखी हैं:-
- बैकअप मार्केट की व्यवस्था: जम्मू-कश्मीर में व्यापार बंद होने की स्थिति में वैकल्पिक बाजार की व्यवस्था की जाए।
- फसल बीमा योजना के तहत नुकसान की भरपाई: किसानों को तत्काल राहत देने के लिए फसल बीमा योजना के अंतर्गत मुआवजा दिया जाए।
- कोल्ड स्टोरेज की सुविधा: ग्रामीण क्षेत्रों में जल्द खराब होने वाली फसलों के लिए भंडारण की व्यवस्था की जाए।
- ट्रांसपोर्ट सब्सिडी: टमाटर को अन्य राज्यों तक भेजने में आने वाली परिवहन लागत में सब्सिडी दी जाए।
क्या कहती है विशेषज्ञों की राय?
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाक तनाव का अप्रत्यक्ष असर सीमावर्ती क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था पर तो पड़ता ही है, लेकिन इस बार यह असर ज्यादा गहरा है क्योंकि यह कृषि उत्पादन से सीधे जुड़ा हुआ है।
कृषि नीति विश्लेषक डॉ. नरेश वर्मा के अनुसार, “टमाटर जैसी फसलों का जीवनकाल सीमित होता है। इनका मूल्य बाजार की मांग पर निर्भर करता है। जब आपूर्ति श्रृंखला टूटती है तो किसान को ही सबसे ज्यादा भुगतना पड़ता है। सरकार को एक इमरजेंसी प्लान बनाना चाहिए ताकि ऐसे हालात में नुकसान को कम किया जा सके।”