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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘टैरिफ नीति’ का असर दुनिया भर के देशों पर पड़ा है, लेकिन भारत ने जिस मजबूती से इस चुनौती को मात दी है, उसने अंतरराष्ट्रीय बाजार में नई मिसाल कायम कर दी है। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी Moody’s ने अपनी ताजा रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि भारत ने अमेरिकी टैरिफ दबाव का तोड़ निकाल लिया है। यह रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% तक का शुल्क लगाने के बावजूद भारत का कुल निर्यात बढ़ा है, जबकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाई गई है।

भारत का निर्यात बढ़ा, अमेरिका को एक्सपोर्ट घटा

सितंबर 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का कुल निर्यात 6.75% बढ़कर 36.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
वहीं, अमेरिका को भेजे गए सामान में 11.9% की गिरावट दर्ज की गई है।
इसका अर्थ है कि भारत ने अपने निर्यात का दायरा अमेरिका से आगे बढ़ाकर यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की ओर मोड़ दिया है।Moody’s रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने “स्मार्ट डाइवर्सिफिकेशन” की नीति अपनाई है — यानी उसने अपने व्यापारिक भागीदारों को विविध बनाया है ताकि किसी एक देश के दबाव में न आना पड़े।

ट्रंप की टैरिफ नीति: ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का नया चेहरा

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 2024 में भारतीय वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ बढ़ा दिया था।
ट्रंप का उद्देश्य अमेरिकी विनिर्माण (Manufacturing) को बढ़ावा देना और “Buy American” नीति को मजबूत करना था।

हालांकि, इससे अमेरिकी कंपनियों को ही नुकसान हुआ, क्योंकि भारत से आने वाले कई जरूरी उत्पाद — जैसे फार्मास्युटिकल्स, टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और आईटी उपकरण — महंगे हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत से आयात कम करने के प्रयास में अमेरिकी कंपनियों को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता नहीं मिल सके, जिससे उत्पादन लागत में 18–25% तक की वृद्धि दर्ज की गई।

जानकारी दें दें कि, डोनाल्ड ट्रंप की ‘टैरिफ पॉलिटिक्स’ ने जहां कई देशों की अर्थव्यवस्था को हिला दिया, वहीं भारत ने अपनी नीतियों और कूटनीतिक संतुलन से यह दिखा दिया कि चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। Moody’s की यह रिपोर्ट न केवल भारत की आर्थिक मजबूती का प्रमाण है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक व्यापार शक्ति के रूप में उभरेगा।

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