नई दिल्ली। दिसंबर की ठंड में एयरपोर्ट्स के गरम माहौल ने संसद तक सरकार के पसीने छूटा दिए। और ऐसा तो होना भी चाहिए क्योंकि जो जनता अपना कीमती वो देकर सरकार से सुविधाओं की उम्मीद करती है। मगर जब बदले में ऐसी अव्यवस्था मिले तो किसका दीमाग नहीं गरम होगा। नेताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उनकी ऐसी समस्या से दो चार होने की नौबत नहीं आती है।
इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानें 3, 4 और 5 दिसंबर को एक के बाद एक रद्द हो गईं, लाखों यात्री घंटों फंसे रहे, सूटकेस इधर-उधर बिखरे पड़े रहे। अब कंपनी ने मुआवजे का ऐलान किया है – बुरी तरह प्रभावित यात्रियों को 10 हजार रुपये का ट्रैवल वाउचर। लेकिन सवाल वही पुराना: क्या ये छोटा-सा वाउचर उस तकलीफ की भरपाई कर पाएगा, जो परिवारों ने झेली? क्या कंपनी की तरफ से वाउचर का मरहम लगाने की कोशिश की जा रही है?
ये सब खींचतान का दौर तब शुरू हुआ जब दिसंबर की शुरुआत में इंडिगो की फ्लाइट्स अचानक रुक गईं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर हाहाकार मच गया। यात्री लाउंज में बैठे-बैठे रात काटते रहे, बच्चे रोते, बुजुर्ग परेशान। कंपनी ने वजह बताई – ऑपरेशनल दिक्कतें। लेकिन हकीकत में ये इतना बड़ा संकट था कि विमानन इतिहास में शायद ही ऐसी अफरा-तफरी देखी गई हो। हजारों लोग मिस्ड कनेक्शन के चक्कर में घर लौटे, बिजनेस मीटिंग्स चौपट। सरकारी गाइडलाइंस के मुताबिक, 24 घंटे के अंदर रद्द हुई फ्लाइट्स के लिए 5 से 10 हजार तक का मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन इंडिगो ने अब एक कदम आगे बढ़ते हुए अतिरिक्त वाउचर का वादा किया है। ये वाउचर अगले 12 महीनों में उनकी किसी भी फ्लाइट पर इस्तेमाल हो सकेंगे। रिफंड की बात करें तो कंपनी कहती है, ज्यादातर पैसे अकाउंट में पहुंच चुके हैं, बाकी जल्द। अगर ट्रैवल एजेंट से बुकिंग थी, तो कंपनी ने ईमेल करने की सलाह दी है – customer.experience@goindigo.in पर।
अब सोचिए, एयरपोर्ट पर घंटों इंतजार, भीड़ में धक्के, और ऊपर से ठंड की मार। एक यात्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमारी छुट्टी खराब हो गई, इंडिगो ने सिर्फ माफी मांगी।” कंपनी की ओर से एक्स पर पोस्ट आया: “3, 4, 5 दिसंबर को यात्रा करने वाले कुछ ग्राहक कई घंटों तक फंसे रहे। उनमें से कई पर भीड़ का बुरा असर पड़ा। हम ऐसे बुरी तरह प्रभावित ग्राहकों को 10 हजार का ट्रैवल वाउचर देंगे। ये सरकारी दिशानिर्देशों के मुआवजे के अलावा है।” सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन क्या ये वाउचर हर उस परिवार तक पहुंचेगा, जिसने अपनी जेब से होटल का खर्च उठाया?
