नई दिल्ली। भारतीय श्रद्धालुओं के लिए एक लंबे इंतजार के बाद एक सुखद समाचार सामने आया है। पांच वर्षों के अंतराल के बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक तीर्थयात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक कार्यक्रम में चयनित यात्रियों के नामों की घोषणा की। यह चयन पूर्णतः पारदर्शी कंप्यूटर आधारित लॉटरी सिस्टम के जरिए किया गया है।
यात्रा की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में कैलाश मानसरोवर यात्रा को कोविड-19 महामारी और भारत-चीन संबंधों में आए तनाव के चलते अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। बता दें कि, अप्रैल 2020 में लद्दाख के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सेना की घुसपैठ के बाद दोनों देशों के संबंधों में भारी गिरावट आई थी। इसके चलते धार्मिक और पर्यटक गतिविधियों पर भी रोक लग गई थी।
लेकिन वर्ष 2024 के अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच तनाव कम करने और आपसी सहयोग को बढ़ाने पर सहमति बनी। बता दें कि उसी बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः आरंभ करने का भी निर्णय लिया गया। इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में इस पर अंतिम सहमति दी गई।
चयन प्रक्रिया और यात्री संख्या
ये भी बता दें कि, देश मंत्रालय के अनुसार इस वर्ष कुल 5561 लोगों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीकरण कराया, जिनमें 4024 पुरुष और 1537 महिलाएं शामिल थीं। इनमें से कुल 750 यात्रियों का चयन किया गया है, जो जून से अगस्त 2025 के बीच विभिन्न बैचों में यात्रा करेंगे।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्द्धन सिंह ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में चयनित यात्रियों के नामों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि चयन प्रक्रिया पूर्ण रूप से कंप्यूटर आधारित और पारदर्शी रही, जिससे सभी आवेदकों को निष्पक्ष मौका मिला।
यात्रा मार्ग और बैचों की व्यवस्था
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए इस बार दो प्रमुख मार्गों का उपयोग किया जाएगा:
- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड से):
इस मार्ग से 50 यात्रियों के 5 जत्थे रवाना किए जाएंगे। यह मार्ग पहले से ही हिंदू श्रद्धालुओं के लिए पारंपरिक रास्ता रहा है। - नाथु ला दर्रा (सिक्किम से):
इस नए मार्ग से 50 यात्रियों के 10 जत्थे रवाना होंगे। यह मार्ग तुलनात्मक रूप से आसान माना जा रहा है क्योंकि यहां सड़क मार्ग की सुविधाएं काफी बेहतर की गई हैं।
दोनों ही मार्गों को इस बार अधिक सुविधाजनक और सुगम बनाने का प्रयास किया गया है। सड़क निर्माण और यात्री सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि यात्रियों को कम से कम पैदल यात्रा करनी पड़े।
यहां ये भी जानना ममहत्वपूर्ण हैं कि,
कैलाश मानसरोवर हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।बताते चले कि, इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। मानसरोवर झील के दर्शन और कैलाश पर्वत की परिक्रमा करना श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक मुक्ति का प्रतीक है।
यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी मजबूती देती है। यह यात्रा भारत-चीन रिश्तों की संवेदनशीलता और सहयोग की प्रतीक बन चुकी है।
सुरक्षा और चिकित्सा प्रबंध
विदेश मंत्रालय के अनुसार, सभी यात्रियों के लिए आवश्यक चिकित्सा परीक्षण, यात्रा बीमा और उच्च हिमालयी क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। यात्रियों को विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संभावित स्वास्थ्य खतरों के प्रति सतर्क किया जाएगाइसके अतिरिक्त, आईटीबीपी और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी इस यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगी। तिब्बत क्षेत्र में चीनी अधिकारियों के साथ भी समन्वय किया गया है ताकि कोई भी अड़चन यात्रियों की सुरक्षा या यात्रा में बाधा न डाले।
यह यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि कूटनीतिक और पर्यटन दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में नरमी और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक सकारात्मक संकेत है। अगर यह यात्रा बिना किसी व्यवधान के पूरी होती है, तो भविष्य में दोनों देशों के बीच और भी धार्मिक व सांस्कृतिक यात्राओं की संभावना बढ़ सकती है।