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करवाचौथ 2025 का पर्व इस वर्ष 10 अक्टूबर, शुक्रवार को पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की मंगलकामना के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण करती हैं।

करवाचौथ भारत के प्रमुख सुहाग पर्वों में से एक है। इसे खासतौर पर उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार करवाचौथ की पूजा संध्या के समय की जाती है। इस बार संध्या पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:45 बजे से रात 7:15 बजे तक रहेगा। इस दौरान महिलाएं पारंपरिक ढंग से पूजा कर सकती हैं और करवाचौथ कथा का श्रवण करेंगी।

करवाचौथ की कथा

करवाचौथ पर कथा सुनने और सुनाने का भी विशेष महत्व है। कथा के अनुसार, एक साहूकार की सात बहनें और एक भाई था। सातों बहनों ने करवाचौथ का व्रत रखा। भाई ने शाम को अपनी बहनों को भूखा-प्यासा देखा तो उसे दया आई। उसने बहनों को धोखे से जल्दी भोजन कराने के लिए पहाड़ी पर दीपक जलाकर उसे चांद का रूप दे दिया। बहनों ने उसे चांद समझकर व्रत तोड़ दिया। इसके बाद उनके पतियों की मृत्यु हो गई। बाद में देवी पार्वती ने बताया कि उन्होंने व्रत का अपमान किया है। फिर उन्होंने पुनः श्रद्धा से व्रत किया और अपने पतियों को जीवनदान दिलाया। तब से करवाचौथ व्रत की परंपरा चली आ रही है।

करवाचौथ 2025 का पर्व 10 अक्टूबर को पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। चंद्रमा रात 7:58 पर उदित होगा और उसी समय महिलाएं अपने व्रत का पारायण करेंगी। पूजा विधि, कथा और अर्घ्य के साथ यह पर्व भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक है।

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