दिल्ली। मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा जंगल होने के साथ यहां की जलवायु सब्जियां उगाने के लिए भी उपयुक्त मानी जाती हैं यही वजह है कि लगातार प्रदेश सब्जी उत्पादन में आगे बढ़ रहा है। जो आंकड़े सामने आए हैं वो बताते हैं कि मध्य प्रदेश में कुल सब्जियों की उत्पादकता वर्ष 2023-24 में 19.54 टन/हेक्टर रही जो कि इसी अवधि की औसत राष्ट्रीय उत्पादकता (18.45टन/हेक्टर) से लगभग 6 प्रतिशत अधिक रही। राष्ट्रीय स्तर पर सब्जी उत्पादकता में आंध्र प्रदेश (34 टन/हेक्टर), केरल (28 टन/हे.), तमिलनाडू (25 टन/हे.) तथा उत्तर प्रदेश (24 टन/हे.) अग्रणी राज्य रहे, जबकि मध्य प्रदेश ग्यारहवें स्थान पर रहा। मध्य प्रदेश में कुल सब्जियों की उत्पादकता प्राप्त करने वाले अग्रणी जिले झाबुआ (37.92 टन/हे.), खरगोन (28.04 टन/हे.) तथा इन्दौर (25.04 टन/हे.) रहे।
हमारी बागवानी देश की पहचान
विश्व पटल पर भारतवर्ष का परिचय देते समय किसी अज्ञात विद्वान ने टिप्पणी की थी – ‘यदि आप भारतीय संस्कृति को जानना चाहते हैं तो भारतीय कृषि को देखें, और यदि आप भारतीय रंगों से परिचित होना चाहते हैं तो भारतीय बागवानी फसलों को देखें। यह टिप्पणी मध्य प्रदेश राज्य के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है। बागवानी फसलें जहाँ एक ओर पौष्टिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के ग्रामीण रोजगार में एक सशक्त विकल्प प्रदान करने के साथ-साथ किसानों के खेतों की गतिविधियों में विविधता लाने में और अंतत: आय वृद्धि में भी सार्थक योगदान देती हैं।
विभिन्न बागवानी फसलों में सब्जी फसलें प्रमुखता से लगाई जाती है। इनकी उत्पादकता अधिक होती है और अधिक लाभ के साथ अधिक रोजगार भी देती हैं। सब्जी फसलें फसल सघनता वृद्धि में सहायक होने के साथ ही फसलोत्पादन कार्यक्रम को एक लचीलापन भी देती हैं।