नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार दोपहर बादल फटने की घटना ने भयंकर तबाही मचाई है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है लोग ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी कर रहे हैं। दरअसल, हर्षिल क्षेत्र में खीर गंगा नाले का जलस्तर अचानक बढ़ने से मलबे और पानी के तेज बहाव ने धराली गांव को अपनी चपेट में ले लिया। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 4 लोगों की मौत की खबर है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। कई घर, होटल और बाजार पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
तबाही का मंजर और राहत कार्य
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिख रहा है कि कैसे महज 20 सेकंड में मलबे और पानी का सैलाब धराली गांव में घुस आया, जिसने कई घरों और दुकानों को तहस-नहस कर दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, भारी मलबा पहाड़ों से नीचे की ओर बहकर आया, जिससे गंगोत्री धाम का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया। उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट प्रशांत आर्य ने बताया कि हर्षिल के पास धराली में बादल फटने की यह एक बड़ी घटना है। राहत और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और सेना की टीमें तुरंत मौके पर पहुंच गई हैं। भारतीय सेना ने हर्षिल शिविर से 150 कर्मियों को तैनात किया, जिन्होंने 10 मिनट के भीतर बचाव अभियान शुरू कर 15-20 लोगों को सुरक्षित निकाला। घायलों को हर्षिल के सेना चिकित्सा केंद्र में उपचार दिया जा रहा है।
पीएम मोदी औऱ गृहमंत्री ने जताया गहरा दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर गहरा दुख जताया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। मैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से स्थिति की जानकारी ले रहा हूं।” गृह मंत्री शाह ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की और आईटीबीपी की 3 टीमें तथा एनडीआरएफ की 4 टीमें घटनास्थल पर भेज दी गई हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “यह खबर अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। हमारी टीमें युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। मैं स्थिति पर नजर रखे हुए हूं और सभी की सुरक्षा की प्रार्थना करता हूं।”
बादल फटने का वैज्ञानिक कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, बादल फटना एक तीव्र और स्थानीयकृत वर्षा की घटना है, जिसमें एक घंटे से भी कम समय में 10 सेंटीमीटर से अधिक बारिश होती है। हिमालयी क्षेत्रों में यह घटनाएं आम हैं, क्योंकि पहाड़ों की ऊंचाई नमी से भरे बादलों को रोक लेती है, जिससे उनका घनत्व बढ़ता है और तेज बारिश होती है। जलवायु परिवर्तन और अवैध निर्माण ने इन घटनाओं को और बढ़ावा दिया है। उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में मानसून के दौरान बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
चुनौतियां और आगे क्या ?
इस आपदा ने धराली के बाजार और रिहायशी इलाकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। गंगोत्री के पास होने के कारण यह क्षेत्र पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे नुकसान का दायरा और बढ़ गया है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाओं में वृद्धि हो रही है, और इनसे बचाव के लिए बेहतर पूर्वानुमान तकनीकों और स्थानीय स्तर पर जागरूकता की जरूरत है।